Book Title: Labdhinidhan Gautamswami
Author(s): Harshbodhivijay
Publisher: Andheri Jain Sangh

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Page 7
________________ मंत्र : श्री प्रथम गणधराय, वीरपट्टाम्बरभास्कराय, परमविनयरुपा नित्यषष्ठतपोयुक्ताय, अप्रमत्तचारित्रगुणधारकाय, मंत्रतंत्र-यंत्र साधना परमगुरुरुपाय, श्री सुरिमंत्र रचनाकारकाय, श्री वाणी, त्रिभुवनस्वामिनी, श्रीदेवी, यक्षराज गणिपीटक सौधर्मेन्द्रादि संसेविताय, द्वादशांगी गूफ काय, शब्दागमपारंगताय, लोकोत्तमाय अनंतलब्धिनिधानाय श्री गौतमस्वामिने पुष्पादिकं यजामहे स्वाहा (पुरी थाली बजाये) M श्री गौतमस्वामी २८ लब्दिपद तप आराधना की विधी तप : एकांतरे २८ उपवास प्रतिदिन क्रिया : (१) दो टाईम प्रतिक्रमण (२) अष्टपकारी पूजाविशेषतः श्री गौतमस्वामीजी की पूजा (३) २८ साथीया (४)२८ खमासमणा (५) २८ लोगस्स का काउस्सग्ग (६) भक्तामर स्तोत्र की १२ से २० गाथा का पाठ (७) देववंदन अथवा चैत्यवंदन (८) श्री सिद्धचक्र पूजन अंतर्गत लब्धिपदगर्भित स्तोत्र (नंबर ४ से ८ तक सामुदायिक कर सकते है) (९) उपवास + बेसणु मीलाके प्रत्येक लब्धिमंत्र की १२० माला गिनने से लब्धि सिद्ध होती है, कमसे कम २० माला गिने। Jain Education International

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