Book Title: Kuvalaymala Part 02
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Anekant Prakashan Jain Religious Trust

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Page 6
________________ ३ (१७७) 1 पडिसद्द-पोग्गलुग्घाय-घट्टणाचलिय-सुर-घंटं ।। घंटा-रव-गुंजाविय-वज्जिर-सुर-सेस-विसर-आउज्जं । 3 आउज्ज-सद्द-संभम-सहसा-सुर-जुवइ-मुक्क-हुंकारं ।।। हुंकार-सवण-विम्हिय-दइया-मुह-णिमिय-तियस-तरलच्छं । 5 तरलच्छ-दसणुप्पित्थ-भग्ग-गंधव्व-गीय-रवं ।।। गीय-रव-भंग-णासिय-ताल-लउम्मग्ग-णच्चिरच्छरसं । 7 अच्छरसायण-संखुहिय-कलयलाराव-रविय-दिसियक्कं ।। इय ताण सहस च्चिय आसण-कंपो सुराण भवणेसु । 9 उच्छलिय-बहल-बोलो जाओ किं-किंचि पडिसहो ।। ___ पुच्छियं च णेहिं सुरवरेहिं 'भो भो किमयं' ति । 11 तओ तेहिं विण्णत्तं पडिहारेहिं । ‘देव, जंबुद्दीवे भरहे दाहिण-मज्झिल्लयम्मि खंडम्मि । 13 तम्मि य धम्म-जिणिंदो विहरइ उप्पण्ण-णाणवरो ।। ता तस्स समवसरणे गंतव्वं तिअस-वंद-सहिएण । 15 सुरणाहेण समं चिय भत्ति-भरोणमिय-सीसेण ।। ___ तं च सोऊण कयं सव्वेहिं चेय सुर-वरेहिं णमो भगवओ सुधम्म-धम्मस्स 17 जिणस्स' त्ति । तं च काऊण पयट्टा सुरिंद-पमुहा सुरवरा । कह य । अवि य, सहसुद्धाइय-रहवर-बहु-जाण-विमाण-रुद्ध-गयणवहं । 19 परितुट्ठ-तियस-कलयल-हरिस-वसुम्मुक्क-बोल्लिक्कं ।। तियसिंद-पोढ-विलया-विलास-गिजंत-मंगलुग्गीयं । 21 अवसेसच्छरसा-गण-सरहस-णच्वंत-सोहिल्लं । रयण-विणिम्मिय-णेउर-चलमाण-चलंत-किंकिणी-सदं । ___ 1)P पोग्गलग्घाय, Jadds सेस before चलिय. 2) P गुंजाविया. 4) P adds रव before सवण, J समण for सवण, निहिय for णिमिय. 5) P •णुप्पिच्छगंधव्व, P reapeats गीयरवं. 6) P भंगाणसिरतालजूमग्गणचिर०, J •रच्छरयं. 7) P सुहं य for संखुहिय, P दियक्कं. 9) P उच्छलियहलापोला, P किंतिपडिसद्दा. 13) Jणाणधरो. 14) J गंतव्वन्तिअस, P तिअमरवंद्र. 15) P समयं चिय. 16) P चेव, P सुहंमधमंजिणस्स. 17) P प्पमुहा, P कयहा for कह य. 22) P om. हरिसवसुम्मुक्कबोल्लिक्कं etc. to उक्कुट्ठिसीहणायं, P reapeats कलयल.

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