Book Title: Kuvalaymala Part 02 Author(s): Chandraguptasuri Publisher: Anekant Prakashan Jain Religious Trust View full book textPage 9
________________ (१७८) 1 अह पविसिऊण भगवं चेइय-रुक्खं पयाहिणं काउं । णिसियइ पुव्वाभिमुहो थुव्वंतो तियस-णाहेहिं ।। 3 तत्तो णिमियस्स य से जाया पडिरूवया तिय-दिसासु । जिणवर-सरिसा ते च्चिय तस्सेव पभावओ जाया ।। 5 तो तस्स दाहिणेणं णमिउं तं चेय ठाइ गणहारी । तस्साणुमग्ग-लग्गा केवलिणो सेस-साहू य ।। 7 तत्तो विमाण-देवी समणी-सहियाउ ठंति अण्णाओ। बहु-जणवय-सय-कलियं तहा वि रुंद ति पडिहाइ ।। 9 कत्थइ विमाण-देवा कत्थइ भवणाण सामिणो होति । कत्थइ जोइसिय च्चिय वंतर-देवा य अण्णत्थ ।। 11 कत्थइ य वंतरीओ कत्थइ देवी जोइसाण तु । कत्थइ णायर-लोओ कत्थइ राया सुरवरिंदो ।। 13 अवरोप्पर-वेर-विवज्जियाइँ सयलाइँ सावय-गणाई । पायारंतर-परिसट्ठियाइँ चिटुंति णिहुयाई ।। 15 एवं जोयण-मेत्ते धम्म-जिणिंदस्स समवसरणम्मि । अजंतणे अविकहे वेर-विमुक्के भय-विहीणे ।। 17 अह भाणिउं पयत्तो जोयण-णीहारिणी' वाणीए । गंभीर-महुर-घोसो णमोत्थु तित्थस्स वयणमिणं ।। 19 इय भणियम्मि समं चिय सव्वे वि सुरिंददणुवइप्पमुहा । कर-कमल-मउलि-सोहा पणया देवा जिणिंदस्स ।। 21 अह सुर-णर-तिरिएसु य सण्णी-पंचिंदिएसु सव्वेसु । परिणमइ सभासाए एक्कं चिय सव्व-सत्तेसु ।। 1) P अह विसि०, P चेतियरुक्खं. 2) P वुत्तंतो for थुव्वतो. 3) P ततो. 4) J विय for च्चिय, P तस्सेय पहावओ. 5) P नमियं. 8) J रुंदं व्व पडि०. 9) J विमाणा, P भवणाण वासिणो होइ. 11) P देवीइ. 14) J संठियाई P संट्ठियाइं. 15) P जोव्वणमेत्ते. 16) P य विकहे for अविकहे. 22) P परिणवइ सहासवे एक्क च्चिय सव्वसत्थेसु.Page Navigation
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