Book Title: Kural Kavya
Author(s): G R Jain
Publisher: Vitrag Vani Trust Registered Tikamgadh MP

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Page 7
________________ विषय 55. न्याथ शासन 56. अत्याचार 57 भयप्रद कृत्गों का... 58. विचारशीलता क्रम 59. गुप्तचर 60. उत्साह 218 220 222, 224 226 228 230 232 234 236 238 240 242 244 69. राज-दूल 246 70. राजाओं के समक्ष ..... 248 71. मुखाकृति से मनोभाय... 250 72. श्रोताओं का निर्णय 252 73. सभा में प्रौढ़ता 254 74. देश 256 75. दुर्ग 258 76. धनोपार्जन 260 262 77. सैना के लक्षण 78. वीर योद्धा का आत्म. 79. मित्रता 264 266 80. मित्रताकेलिए योग्यता 288 81. घनिष्ट मित्रता 270 61. आलस्य त्याग 62. पुरुषार्थ 63. संकट में धैर्य 64. मंत्री 65. वाकपटुता कुरल काव्य 66. शुभाचरण 67. स्वभाव निर्णय 68. कार्य संचालन पृ.सं. विषय 82. विघातक मैत्री 83. कपटं मैत्री 94. मूर्खता 85. अहंकारपूर्ण मूढ़ता क्रम. 272 274 276 278 86. उद्धतता 280 87. शत्रु की परव 282 88. शत्रुओं के साथ..... 284 89. घर का भेदी 286 90. बड़ोंके प्रति दुर्व्यवहार 288 91. स्त्री की दासता 290 92. वेश्या 93. मद्य त्याग 94. जुआ 95. औषधि 96. कुलीनता 97. प्रतिष्ठा 98. महत्त्व 99. योग्यता 100. सभ्यता 101. निरुपयोगी धन 102. लज्जाशीलता 103. कुलोन्नति 104 खेती 105. दरिद्रता पृ.स 106. भिक्षा 107. भीख मांगने से भय 108. भ्रष्ट जीवन 292 294 296 298 300 302 304 306 308 310 312 314 316 318 320 322 324

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