Book Title: Kundkundacharya
Author(s): Prabha Patni
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 4
________________ मां । आज सन्यासी जी ने कहा था, भगवान् महावीर, गौतम गणधर कुन्दकुन्द आचार्य और अर्हत् धर्म मंगल स्वरूप है । बेटा ! आज मैं बहुत प्रसन्न हूं कि तू अपने धर्म और आचार्यों के विषय में जानना चाहता है। हां पुत्र । 2 मां ! भगवान महावीर के बारे में तो मैं कुछ जानता हूं किन्तु गौतम गणधर, कुन्द कुन्द और अर्हते धर्म के बारे में कुछ नहीं जानता, मुझे समझाईए ।

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