Book Title: Kundkundacharya
Author(s): Prabha Patni
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 14
________________ PITTETTE तूशुच्दहे,पवित्र है।शरीर नहीं आत्मा है। सिच्दोऽसि बुच्दोऽसि निरंजनोऽसि संसारमार्या परिवर्जितोऽसि । संसारस्वप्नं तज मोहनिद्रा श्री कुन्दकुन्द जननीमुचे ।। HTHEI 25AIUMlaon W/20000000000.orn HAOOO NA विद्याध्ययन CNMUN गुरूजी! इस संसार में कौनकौनसे द्रव्य पाये जाते हैं? कुन्दकुन्द ! बहुत उत्तम प्रश्न किया है। इस संसार में जीव,पुद्रल,धर्म, अधर्म अकाश और काल के अलावा कुछ नहीं। STATISTIRECEILMS M DIRATI

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