Book Title: Kundkundacharya
Author(s): Prabha Patni
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 10
________________ वत्स। हमेशा पढ़ना "मैं अरिहन्त की शरण में हूं।" अरिहन्त की शरण में हूं। मैं अरिहन्त की शरण में हूँ। मां! अरिहन्त का अर्थ मेरी समझ में नहीं आया। बेटा । अरिहन्त का अर्थ होता है । | मां ! यह मंत्र में भी याद करलूं। जिन्होंने कर्म शत्रुओं को जीत लिया हो। उन्हें ही तीर्थकंर, अरहन्त अर्हत् और हां बेटा। भगवान कहते हैं। मैं अरिहन्त की शरण में हूं। मां! आज तुम बहुत अच्छी कहानी सुना रही हो, आगे सुनाओ। GALLERad

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