Book Title: Kumarpal Pratibodh
Author(s): Somprabhacharya, Jinvijay
Publisher: Central Library
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प्रस्तावः ]
स्थूलिभद्र-कथा । थूलभद्दओ तम्मि पासाइ,
मणि-खंड-मंडिय-कणयमय-गवक्ख-उच्छंगि संठिय, कोस त्ति वेसा पवर
रूव-नाण-गव्वावगुंठिय, रयणालंकिय-सयल-तणु उज्जल-वेस-विसिठ्ठ । नं सुर-रमणि विमाण-गय लोयण विसइ पविठ्ठ॥७॥
जसु वयणविणिजिउ नं ससंकु, __ अप्पाणु निसिहिं दंसह स-संकु। जसु नयण-कंति-जिय-लज्ज-भरिण,
वण-वासु पवनय नाइ हरिण ॥ ८॥ जसु सहहिं केस-घण कसण-वन्न,
नं छप्पय मुह पंकय पवन्न । भुवणिक-वीर-कंदप्प-धणुह,
सुंदरिमविडंबहि जासुभमुह ॥९॥ जसु अहर हरिय-सोहग्ग-सारु,
नं विदुम सेवइ जलहि खारु । जसु दंतपंति सुंदेरु रुंदु,
नहु सीओसहं तु वि लहइ कुंदु ॥ १०॥ असणंगुलि पल्लव नहपलूण,
जसु सरलभुयाउ लयाउ नृण । घण-पीण-तुंग-थण-भार-सत्तु,
जसु मज्झु तणुत्तणु नं पवत्तु ।। ११ ॥ थूलभद्दिण तीइ कोसाइ,
निय-दिट्टि जा पट्टविय ___ अंगि चंगलावन्ननिभरि, तीए वि हु अंगि तसु
__ असमसोह सोहग्गसुंदरि, अवरुप्परु अणुरायगुणु दोहिहिं पयडंतीहिं । थुलभद्द कोसहं पढमु किउ दूइत्तणु तीहिं ॥ १२ ॥
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