Book Title: Kriyakosha
Author(s): Kishansinh Kavi
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 320
________________ क्रियाकोष २९३ दोहा बीस चार जिनवर गरभ, वासर कहे बखाण । अबै जन्मदिन तिथि सकल, सुनि भवि चित हित आन ॥१८२९॥ जन्मकल्याणक व्रत पद्धरी छन्द आसाढ दसमी वदि नमि जिनेश, सावण वदि छठि नेमीश्वरेश । कातिक वदि तेरस पदम संत, मगसिर सुदि नौमी पुष्पदंत ॥१८३०॥ ग्यारसि मल्लिजु जनमावतार, अरनाथ जनम चौदसि सुसार । पूरणमासी सम्भव सुदेव, शशिप्रभ वदि ग्यारसि पौष एव ॥१८३१॥ ग्यारस दिन पारसनाथ जान, शीतल जिन बारसि किसन मान । सित चौथ विमल नामजु उछाह, दशमी सित उच्छव अजित नाह ॥१८३२॥ बारसि अभिनंदन जनम लीय, तेरसि जिन धर्म प्रकाश कीय ।। ग्यारसि फागुण श्रेयांसस्वामि, जिन वासुपूज्य चौदसि प्रमाणि ॥९८३३॥ वदि चैत नवमि २रिसहेस स्वामि, दसमी मुनिसुव्रत पय नमामि । सुदि तेरस जन्मे वीरनाथ, जिन सुमति दसमि वैशाख श्याम ॥१८३४॥ सुदि पडिवा जनमे कंथवीर, बारसि वदि जेठ अनन्त धीर । चौदसि श्री शांति कियो प्रकाश, सित बारसि जनमे श्री सुपास ॥१८३५॥* जन्मकल्याणककी तिथियाँ-आषाढ़ वदी दशमी नमिनाथकी, श्रावण वदी षष्ठी नेमिनाथकी, कार्तिक वदी त्रयोदशी पद्मप्रभकी, मगसिर सुदी नवमी पुष्पदन्तकी, मगसिर सुदी एकादशी मल्लिनाथकी, मगसिर सुदी चतुर्दशी अरनाथकी, मगसिर सुदी पूर्णिमा संभवनाथकी, पौष वदी एकादशी चन्द्रप्रभकी, पौष वदी एकादशी पार्श्वनाथकी, पोष वदी द्वादशी शीतलनाथकी, पौष सुदी चतुर्थी विमलनाथकी, पौष सुदी दशमी अजितनाथकी, पौष सुदी द्वादशी अभिनन्दननाथकी, पौष सुदी त्रयोदशी धर्मनाथकी, फागुन सुदी एकादशी श्रेयांसनाथकी, फागुन सुदी चतुर्दशी वासुपूज्यकी, चैत्र वदी नवमी ऋषभनाथकी, चैत्र वदी दशमी मुनिसुव्रतनाथकी, चैत्र सुदी त्रयोदशी महावीरकी, वैशाख वदी दशमी सुमतिनाथकी, वैशाख सुदी पडिवा कुन्थुनाथकी, जेठ वदी द्वादशी अनन्तनाथकी, जेठ वदी चतुर्दशी शांतिनाथकी और जेठ सुदी द्वादशी सुपार्श्वनाथकी जन्मतिथि है॥१८३०-१८३५॥ १ नेमी वरेश स० न० २ वृषभेष स० न० * छन्द १८३५ के आगे स० न० प्रतिमें निम्नलिखित दोहा अधिक है जन्म कल्याणक तिथि कही, तीर्थंकर चौबीस । तप कल्याणक विधि कहौ, मन वच क्रम नमि सीस ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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