Book Title: Kriyakosha
Author(s): Kishansinh Kavi
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 327
________________ ३०० श्री कवि किशनसिंह विरचित लघु कल्याणक व्रत दोहा गरभ जनम तप ज्ञान शिव, तीर्थङ्कर चौबीस । वरसमांहि तिथि सबनको, करै एक सौ बीस || १८७६ ॥ छप्पय छह रिषभ गरभ वदि दुतिय गर्भ छठि वासुपूज गनि, आठै विमल सुमोक्ष दशमि नमि जनम रु तप भनि; वर्धमान छठि सुकल गरभ माताके आये, सुदि सातै जिन नेमि करम हणि मोक्ष सिधाये; आसाढ मास माहे दिवस, उछाह माहि जिन जाणियो । कल्याणक सातमो, छह जिनवरको ठाणियो || १८७७॥ मुनिसुव्रत जिनदेव गरभ वदि दोयज वासर, कुंथु गरभ वदि दसे सुमति सित तीज गरभ वर; नेमनाथ सित छठी जनम दिन तप पुनि धरियो, साते पारसनाथ मोक्ष लहि भवदधि तरियो; श्रेयांसनाथ निरवान पद, पून्यूंके दिन सरदही । सावण मास छहि दिन विषै, सात कल्याणक है सही ॥१८७८॥ लघु कल्याणक व्रत चौबीस तीर्थंकरोंके गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान और निर्वाण कल्याणककी तिथियाँ एक वर्षमें एक सौ बीस होती हैं || १८७६ ॥ आषाढ़ वद द्वितीयाको ऋषभनाथका गर्भ, आषाढ़ वद षष्ठीको वासुपूज्यका गर्भ, आषाढ़ वद अष्टमीको विमलनाथका मोक्ष, आषाढ़ वद दशमीको नमिनाथका जन्म तथा तप, आषाढ़ सुद षष्ठीको महावीरका गर्भ, और आषाढ़ सुद सप्तमीको नेमिनाथका निर्वाण कल्याणक होता है । इस प्रकार आषाढ़ माहमें छह तीर्थंकरोंके सात कल्याणक दिवस आते हैं || १८७७ || श्रावण वद द्वितीयाको मुनिसुव्रतनाथका गर्भ, श्रावण वद दशमीको कुन्थुनाथका गर्भ, श्रावण सुद तृतीयाको सुमतिनाथका गर्भ, श्रावण सुद षष्ठीको नेमिनाथका जन्म तथा तप, श्रावण सुद सप्तमीको पार्श्वनाथका मोक्ष, श्रावण सुद पूर्णिमाको श्रेयांसनाथका निर्वाण कल्याणक होता है । इस प्रकार श्रावण माहमें छह तीर्थंकरोंके सात कल्याणक दिवस आते हैं ॥। १८७८ ॥ भादों वदी सप्तमीको शांतिनाथका गर्भ, भादों सुद षष्ठीको सुपार्श्वनाथका गर्भ, भादों सुद Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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