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पंक्ति-७
अनुगह अनेकानि सतसहसानि विसजति पोरं जानपदं [1] सतमं च वसे पसासतो वजिरघरवति.... स मतुक पद [पुनां] स [कुमार]... [I] अठमे च वसे महति सेनाय महत ... गोरधगिरि
पंक्ति-८
घातापयिता राजगहं उपपीडापयति [1] एतिनं च कंमपदान संनादेन सबत सेन वाहने विपमुचितुं मधुरं अपयातो यवनराज ...म*... यछति पलव भार
पंक्ति-९
___ कपरूखे हय गज रध सह यति सवधरावास परिवेसने... सव गहणं च कारयितुं बम्हणानं जय परिहार ददाति [1] अरहंत [पसादाय] नवमे च वसे
पंक्ति-१०
[नगरिय कलिंग]' राजानिवासं महाविजय पासादं कारयति अठतिसाय सतसहसेहि [1] दसमे च वसे दंड संधि साम [मयो] भरधवस पठानं महीजयनं... कारापयति [I] एकादसमे च वसे [सतुनं] पायातानं च मणि रतनानि उपलभते[1]
* स्टेन कोनो ने “डिमित" और श्री जयस्वाल ने “डिमिट” के रूप में इसका पाठोद्धर किया है। अब केवल "म" वर्ण ही है.। २. यह पाठ संदेहास्पद है।
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