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उ.- कषाय- व्युत्सर्ग के चार भेद कहे गये हैं, वे इस प्रकार हैं
1. क्रोध - व्युत्सर्ग-क्रोध का त्याग ।
2. मान - व्युत्सर्ग- अहंकार का त्याग ।
3. माया - व्युत्सर्ग-छल कपट का त्याग
4. लोभ - व्युत्सर्ग- लालच का त्याग। यह कषाय- व्युत्सर्ग का विवेचन है।
प्र. से किं तं संसार विओसग्गे ?
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उ.- संसारविओसग्गे चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा
1. णेरइय संसारविओसग्गे,
2. तिरिय संसारविओसग्गे, 3. मणुय संसारविओसग्गे,
4. देव संसारविओसग्गे,
से त्तं संसारविओसग्गे ।
प्र. - संसार व्युत्सर्ग क्या है ? वह कितने प्रकार का है ?
उ.- संसार-व्युत्सर्ग (चार गति के बन्ध के कारणों का त्याग ) चार प्रकार का बतलाया गया है। वह इस प्रकार है
1. नैरयिक- संसारव्युत्सर्ग-नरक गति बँधने के कारणों का त्याग । 2. तिर्यक् - संसारव्युत्सर्ग-तिर्यंच गति बँधने के कारणों का त्याग । 3. मनुज - संसारव्युत्सर्ग-मनुष्य गति बँधने के कारणों का त्याग । 4. देवसंसार - व्युत्सर्ग-देव गति बँधने कारणों का त्याग । यह संसार व्युत्सर्ग का वर्णन है।
प्र. से किं तं कम्मविओसग्गे ?
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उ.- कम्मविओसग्गे अट्ठविहे पण्णत्ते, तं जहा
1. णाणावरणिज्जकम्मविओसग्गे,
2. दरिसणावरणिज्जकम्मविओसग्गे, 3. वेयणिज्जकम्मविओसग्गे,
4. मोहणिज्जकम्मविओसग्गे,
120 कायोत्सर्ग
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