Book Title: Kavivar Bulakhichand Bulakidas Evan Hemraj
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur

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Page 4
________________ सहयोग प्रदान किया है । हम दोनों ही महानुभावों का हार्दिक अभिनन्दन करते हैं । श्री बालचन्द जी सा. सागर से सारा जन समाज परिचित है । अ.भा. दि. जैन परिषद के के मध्यक्ष हैं। प्रापकी लोकप्रियता एवं सेवाभावी जीवन सारे मध्यप्रदेश में प्रसिद्ध है , इसी तरह श्री पंसारी सा. रश्नों के व्यवसायी हैं तथा जयपुर जैन समाज अत्यधिक सम्माननीय सज्जन हैं। अकादमी के सम्माननीय सदस्यों में जयपुर के डा. राजमलजी सा. कासलीवाल देहली के श्री नरेशकुमार जी मादीपुरिया, मेरठ के श्री शिखरचन्द जी जैन, सागर के श्री खेमचन्द जी मोतीलाल जी, एवं डीमापुर के श्री किशनचन्द जी से ठी एवं कटक के श्री निहालचन्द शान्ती कुमार का भी हम हार्दिक स्वागत करते हैं । सभी महानुभाव समाज के प्रतिष्ठित एवं सेवाभावी व्यक्ति है। हा. राजमलजी तो नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के विश्वस्त साथी रह चुके हैं। संस्थाओं द्वारा सहयोग दिसम्बर ८२ में श्री दि. जैन सिद्ध सेक पाहार जी में प्र. भा दि. जैन विद्वत परिषद के नैमित्तिक भधिबेशन में प्रकादमी की साहित्य प्रकाशन योजना की प्रशंसा करते हुए समाज से प्रकादमी का सदस्य बनने एवं उसे पूर्ण आर्थिक सहयोग देने के लिए जो प्रस्ताव पारित किया गया उसके लिए हम विद्वत् परिषद के पूर्ण प्राभारी हैं । इसी तरह पाहारजी में ही अ भा. दि जैन महासभा के अध्यक्ष प्रादरणीय श्री निर्मल कुमार जी सा. सेयी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रकादमी के कार्यो को जिस रूप में प्रशा की तथा उसे सहयोग देने का प्राश्वासन दिया उसके लिए हम उनके भी पूर्ण प्राभारी हैं। माननीय सेठी सा. तो प्रकादमी के पहिले ही सम्माननीय संरक्षक हैं। विद्वानों का सहयोग प्रकादमी को हिन्दी साहित्य के मनीषियों का बराबर सहयोग मिलता रहता है। अब तक डा सत्येन्द्र जी जयपुर, छा. हीरालाल माहेश्वरी जयपुर, डा, नरेन्द्र भानावत जयपुर, डा. नेमीचन्द्र जैन हन्दौर एवं डा. महेन्द्र कुमार प्रचंडिया अलीगढ़ ने संपादकीय लिखकर एवं पं. अनूपचन्द्रजी न्यायतीर्थ, पं. मिलापचन्द जी शास्त्री, श्रीमती डा कोकिला से ठी, श्रीमती सुशीला वाकलीवाल, डा. भागचन्द भागेन्दु जैसे विद्वानों का सम्पादन में हमें सहयोग मिलता रहा है । प्रस्तुत भाग के संपादक हैं सर्द श्री रावत सारस्वत जयपुर, डा हरीन्द्र भूषण उज्जैन एवं श्रीमती शशिकला जमपुर । माननीय श्री रावत स्वारस्वत राजस्थानी भाषा के प्रमुख विद्वान है तथा

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