Book Title: Kavivar Bulakhichand Bulakidas Evan Hemraj
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur

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Page 2
________________ श्री महावीर ग्रंथ अकादमी-प्रगति रिपोर्ट श्री महावीर मंय अकादमी की स्थापना सन शो जग साहित्य की २० भागों में प्रकाशित करने के उद्देश्य के साथ साथ जैन साहित्य का प्रकाशन, नव माहिन्य निर्मारग एवं जैन साहित्य, कला इतिहास, पुरातत्व जैसे विषयों पर शोध करने वाले विद्यार्थियों को दिशा निर्देशन के उद्देश्य को लेकर की गई थी। इन उद्देश्यों में अकादमी निरन्तर आगे बढ़ रही है। हिन्दी गैन कवियों पर प्रकाशित होने वाले भागों में घट्टा पुष्प पाठकों एवं माननीय सदस्यों के सामने प्रस्तुत किया जा रहा है। अब तक प्रस्तुत भाग सहित निम्न भाग प्रकाशित किये जा चुके हैं। १. महाकवि ब्रह्म रायमल्स एवं भट्टारक त्रिभुवनकोत्ति २. कविवर दुचराज एवं उनके समकालीन कबि ३. महाकवि ब्रह्म जिनदास -- व्यक्तित्व एवं कृतित्म ४ भट्टारक रत्नकीर्ति एवं कुमुदचन्द्र १. भाचार्य सोम कीति एवं ब्रह्म यशोधर ६. कविपर बुलाखीचन्द, बुसाकीदास एष हेमराज प्रकादमी के सप्तम पुप की सामग्री भी संकलित की जा रही है तथा उसे अक्टूबर तक अथवा वर्ष समाप्ति के पूर्व ही प्रकाशित कर दिया जायेगा । जैन भत्रियों के द्वारा विशाल हिन्दी साहित्य की संरचना की गयी थी। इसलिये उनकी सम्पूर्ण कृतियों को २० भागों में प्रकाशित करना तो संभव नहीं हो सकेगा क्योंकि ब्रह्म जिनदास एवं पाण्डे हेमगन जैसे बीसों कवि हैं जिनकी कृतियों के मूल पाठ प्रकाशित करने के लिए एक नहीं भनेक भाग चाहिये 1 फिर भी यह प्रसन्नता का विषय है कि अकादमी की ओर से अब तक बूधराज, छोहल, ठक्कुरसी, गारबपास, सोमक्रीति, ब्रह्म यशोधर सांगु, गुणकोति, यशःकीर्सि जैसे कुछ कवियों की तो सम्पूर्ण रमनायें प्रकाशित की जा चुकी है तथा शेष कवियों ब्रह्म रायमन्त

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