Book Title: Kashay
Author(s): Hempragyashreeji
Publisher: Vichakshan Prakashan Trust

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Page 174
________________ १३८ कषाय : एक तुलनात्मक अध्ययन विश्व में सर्वत्र निष्पक्ष रूप से एक सुव्यवस्थित न्याय-तन्त्र देखता है। वह समझता है, आज जो मेरा अपराधी है, उसका पहले मैं अपराधी था। वर्तमान में मेरा असातावेदनीय अथवा 'अशुभ नामकर्म का उदय है तथा निमित्त बनने वाले का मोहनीय कर्म का उदय है। १०. चिन्तन हो, क्या प्रतिकार से समस्या सुलझ जायेगी? प्रतिक्रिया का क्या परिणाम होगा? क्षमा भाव ही वैर ग्रन्थि को तोड़ेगा। ११. महापुरुषों ने प्राणान्तक कष्टों में सन्तुलन नहीं खोया, उनके जीवन से शिक्षा ग्रहण करूँ। भगवान् महावीर ने संगम, शूलपाणि आदि पर भी मैत्रीभाव रखा। ईसा मसीह ने शूली पर लटकते समय विरोधियों की क्षमा हेतु प्रभु-प्रार्थना की। दयानन्द सरस्वती ने भोजन में काँच पीसकर मिलाने वाले रसोइए के प्रति दुर्भाव नहीं किया। १२. 'उत्तराध्ययन' का सूत्र है''- कोह बिजएणं भंते! जीवे किं जणयईं? उत्तर- कोह विजएणं खंतिं जणयइ। अर्थात् प्रश्न- क्रोध पर विजय करने से क्या प्राप्त होता है? उत्तर- क्रोध पर विजय करने से क्षमा भाव प्रकट होता है। क्षमा मोक्ष का द्वार है। क्षमा वीरों का भूषण है। कहा गया है- 'क्षमा बड़न को चाहिए, छोटन को उत्पात'। सहज क्षमा ही क्षमा है, कषाय प्रेरित क्षमा, क्षमा नहीं है। मालिक ने कर्मचारी का तिरस्कार कर दिया, वह मौन रहा, यह लोभ प्रेरित क्षमा है। हृदय में क्रोध है; किन्तु नहीं बोलने की मजबूरी है। अभ्यागतों के समक्ष पुत्र से काँच का फानूस टूटने पर भी सेठ शान्त है; क्योंकि मान प्रेरित क्षमा है। प्रतिकार क्षमता न होने पर बाह्य दृष्टि से व्यक्ति सहज है; किन्तु अन्तरंग में वैर-शल्य चुभा है, यह माया प्रेरित क्षमा है। वस्तुतः क्षमा वह है, जब हृदय में क्रोध ही उत्पन्न न हो। १३. एक द्रव्य दूसरे द्रव्य का कर्ता नहीं है। अपने सुख-दुःख का कारण व्यक्ति स्वयं है, अन्य नहीं। अपने भले-बुरे का कर्तापन अन्य पर आरोपण करने से सहज क्षमा प्रकट नहीं होगी। प्रत्येक पदार्थ का स्वतन्त्र परिणमन है। परपदार्थों को अपनी इच्छा के अनुकूल परिणमन कराने की भावना मिथ्यात्व है एवं क्रोधोत्पत्ति का कारण है। अतः तत्त्व स्वरूप का चिन्तन करना चाहिए। १०. उत्तराध्ययनसूत्र/ अ. २९ /गा. ६८ ११. छह ढाला Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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