Book Title: Jogsaru Yogsar Author(s): Yogindudev, Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur View full book textPage 2
________________ २ हजार प्रथम संस्करण २२ जुलाई, २००५ (वीर शासन जयन्ति) मूल्य: पाँच रुपए विषय-सूची पृष्ठ दोहा पृष्ठ दोहा ९ दूहा १ से २ तक ३१ दूहा ६६ से ६८ तक १० दूहा ३ से ५ तक ३२ दूहा ६९ से ७१ तक ११ दूहा ६ से ८ तक ३३ दूहा ७२ से ७४ तक १२ दूहा ९ से ११ तक १३ दूहा १२ से १४ तक ३४ दूहा ७५ से ७७ तक १४ दूहा १५ से १७ तक ३५ दूहा ७८ से ८० तक १५ दूहा १८ से २० तक ३६ दूहा ८१ से ८३ तक १६ दूहा २१ से २३ तक ३७ दूहा ८४ से ८६ तक १७ दूहा २४ से २६ तक ३८ दूहा ८७ से ८९ तक १८ दूहा २७ से २९ तक ३९ दूहा ९० से ९२ तक १९ दूहा ३० से ३२ तक ३३ से ३५ तक ४० दूहा ९३ से ९५ तक ३६ से ३८ तक ४१ दूहा ९६ से ९८ तक दूहा ३९ से ४१ तक ४२ दूहा ९९ से १०१ तक दूहा ४२ से ४४ तक ४३ दूहा १०२ से १०४ तक २४ दूहा ४५ से ४७ तक ४४ दूहा १०५ से १०७ तक २५ दूहा ४८ से ५० तक ४५ दूहा १०८ २६ दूहा ५१ से ५३ तक २७ दूहा ५४ से ५६ तक ४६ परिशिष्ट - १ २८ दूहा ५७ से ५९ तक योगसार प्रश्नोत्तरी २९ दूहा ६० से ६२ तक __ ६३ परिशिष्ट - २ ३० दूहा ६३ से ६५ तक दोहानुक्रमणिका प्रकाशकीय पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट, जयपुर द्वारा आचार्य योगीन्दुदेव विरचित तथा डॉ. वीरसागर जैन द्वारा सम्पादित जोगसारु (योगसार) का प्रकाशन करते हुए हमें हार्दिक प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। इसके पूर्व मेरे द्वारा मराठी भाषा में गद्यरूप से अनुवादित एवं सम्पादित तथा श्री मधुकरजी गडेकर द्वारा रचित मराठी भाषा में पद्यानुवाद रूप कृति का प्रकाशन किया गया, जिसका पाठकों ने भरपूर लाभ लिया है। फलतः उसके दो संस्करण प्रकाशित किये जा चुके हैं, जो गौरव का विषय है। आध्यात्मिक सत्पुरुष श्रीकानजीस्वामी का योगसार प्रवचन भी डॉ. भारिल्ल के पद्यानुवाद सहित अनेक बार प्रकाशित हो चुके हैं। प्रस्तुत कृति का सम्पादन श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ दिल्ली के जैन दर्शन विभाग के प्रवाचक डॉ. वीरसागर ने पूर्ण मनोयोग पूर्वक किया है। ग्रंथ की विषय वस्तु के विषय में सम्पादक ने अपनी प्रस्तावना में विस्तार से प्रकाश डाला है, आशा है पाठकगण प्रस्तावना पढ़कर अपनी जिज्ञासा शांत करेंगे। योगसार मूल ग्रंथ का हिन्दी पद्यानुवाद तो इसमें दिया ही है; अन्त में प्रकाशित प्रश्नोत्तर के माध्यम से पाठक विशेषरूप से लाभान्वित होंगे, ऐसा हमें विश्वास है। हमारे विक्रय विभाग में योगसार मराठी व हिन्दी की कैसेट्स भी उपलब्ध हैं, अन्य विषयों की कैसेट्स व सी.डी. भी उपलब्ध हैं, जिन्हें प्राप्त कर लाभ उठाया जा सकता है। प्रस्तुत कृति को अल्पमूल्य में पहुँचाने का श्रेय दान दातारों को है, जिनकी सूची अन्यत्र प्रकाशित की गई है। सभी दान दातारों के सहयोग के लिए हम उनका आभार मानते हैं। पुस्तक की मुद्रण व्यवस्था व नयनाभिराम आवरण प्रकाशन विभाग के मैनेजर श्री अखिल बंसल की देन हैं, इसके लिए वे धन्यवाद के पात्र हैं। सभी पाठक योगसार के माध्यम से योग के वास्तविक स्वरूप को समझें और अपना कल्याण करें इसी भावना के साथ - ब्र. यशपाल जैन, एम.ए. प्रकाशन मंत्री पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट मुद्रक : प्रिण्टौलैण्ड बाईस गोदाम, जयपुरPage Navigation
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