Book Title: Jogmayano Saloko Author(s): Niranjan Rajyaguru Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 5
________________ June-2005 देखी देवने दुःख उपातो मार्यो महीषासुर दाणव मातो सुरथ वैसनें वरदान दीधुं राज्य वालु नें कारज कीधुं हरी हर बंभ में रवी ससी जोडि सुरपति देवता तेत्रीस कोडि शुंभ दैतें ते सघळा हराव्या हार मानीने हेंमाचल आव्या अंबाजि आगल्य अरज करे छें दीलमां देवता दुःख धरे छें देवी दांणव- सुभट छें दुष्ट अमनें कीधा तेणें थांनक- भृष्ट नीपनी छोंड्या सुरीनर नांग जोरें रोक्या छें जगन नें जाग त्रीभोवन कंटक म्लेच्छ ए ताजो मनमां नांणें केहनो मलाजो भई दांणवनें तुमें सुं भागा इम नासीने आवी इहां लागा तिहारें सुर कहें हाथ तमारें अहनुं लख्यु छें मरण आ वारें वदी बीसी वरदान वारु देवी रचें तीहा रूप दीदारु वरसां बारांक तेराकवाली बाल कुंआरी सुदर सुखमालि 11911 वलती वेंमासी तव कहें इंम वेंमला कहो आपणी तजीने कमला Jain Education International 11211 ॥९॥ ॥१०॥ ॥११॥ ॥१२॥ For Private & Personal Use Only 5 www.jainelibrary.orgPage Navigation
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