Book Title: Jogmayano Saloko Author(s): Niranjan Rajyaguru Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 6
________________ अनुसन्धान ३२ ॥१३॥ रुडी रुपाली अजब रंगीली छलवा दैतनें थई छबीली पद पंकज पलव वराजें लाल सुरंगां माणेक लाजें उपें हीरा-सी नखनी ओल रुडी पांनी बहु कुंकुम रोल ॥१४॥ पिंडी ऊतरती एडी लंकाली केळ-थंभ-सी जंघ सुहाली कटने लंकें केसरी हारी भुज नीतंब उनत भारें ॥१५॥ पातलपेटी में नाभ्य गंभीर युग्म पयोधर जाणे जंबीर हार कमलनी हाथनें लटकें मोहें मुंनीजन मुखडाने मटकें ॥१६॥ दंत दाडिमनी कलीने जी दीपसीखा सी नासीका दीपें होठ परवाली रही छे हारी मृगनयणी मोहनगारि भमर कबांन नयण सोभाला खलक देखीने पांमें सह ख्याला वेंणे वासंग आवीने वसीओ जाणे मुख सशी जोवाने रसीओ ॥१८॥ सीसफूलनें गोफणो नीको दीपे जडाव डांमणीओ टीको हीई सरबंध सिंथो समारो ओपें आंखडीओ काजल सार्यो ॥१९॥ ॥१७॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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