Book Title: Jogmayano Saloko Author(s): Niranjan Rajyaguru Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 8
________________ 00 वेंण वाहीने राग आलापें थेईथेई ता थेई शु पद तां थापे ||२६|| खांते खेलती घुंघट खोलिं बोलि मीठु जम कोयल बोले रूप जोवानें रवीरथ थंभें असुर देखीनइ पड्या अचंभें पूच्छि राखस पातलपेटी किहां वसें तु केहनी छे बेटी ठांम तमारो इहां न ठावो किम आव्यां छो आघेरां आवो बलीओ मुजने कोई झालि बांहि नथी देखति त्रीभोवन मांहिं भाखें भवांनी टेक धरीनें जल थल जोड छं तेणें करीनें तिहारें त्रीपुरा कहि ललकावी मोति जिहां तीहां फरूं छं वरने जोती युद्धे करीने मुजने जे जीतें तेह पुरषने परणुं प्रीतें ईम सुंणीनें असुर पर्यपें जेह आगलि जग सहु कंपि शुंभ नांमे छें साहिब अमारो तेह पुरसें मनोरथ तारो राखस वंशनो मोटो राजांन सुरो नहि कोई जेह समांन मांननी तुमनें ते देखें सही मांन नारी बीजीने तजी नीदांन ॥२७॥ Jain Education International ||२८|| ॥२९॥ ||३०|| ॥३१॥ ॥३२॥ For Private & Personal Use Only अनुसन्धान ३२ www.jainelibrary.orgPage Navigation
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