Book Title: Jogmayano Saloko
Author(s): Niranjan Rajyaguru
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 14
________________ 14 अनुसन्धान ३२ ॥६६॥ अंगें अड्या ते भचरड्या उरें मुह मरझ्या केइ माहामुरे ॥६५।। कुंहणी गदा के पाटु लापोट टांमे राख्या केई मारी थापोट हाथे पगे ने मस्तक हीई आपें छेदीने उडाडी दीई चक्रे चुर्या केई चुसीनें लीधा पडता लोहीइ उपाडी पीधा हजारगमे केई कीधा हम लाखगमें तो राल्या उजम ॥६७|| चरणे झाली ते नाख्या केइ चोली केइ गणणाव्या गोफण गोली ढाल वडें केड धरणीइं ढाला गर्व घणाना गेडीइ गाल्या वेरी घणा तो वाघे वलुर्या चापजोरें केई रणमांहि चुर्या कुबधि केतांइक कुहाडे कुट्या चपट सांडसे घणा तो चुट्या ॥६९॥ केई हुता जे जूधना कुसली मुदगरें मारी लीधां ते मसली मोह पमाडि नांख्या का मरदी गगने उडाडी तेहनी गरदी ॥७०।। संखनादें केई लीधा तीहां सोसी खेरु कर्या केइ बरछीइं पोसी तोमर हले केइ घुघरे तरजा शत्रु चेंतें अमे पुरष कां सरजा ? ||७१।। ||६८॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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