________________
लेखक की कलम से ... ... किताबों के नाम पर मैंने ढेरों किताबें पढ़ी हैं, न केवल पढ़ी हैं, वरन ढेरों ही मैंने कही और लिखी हैं, पर कोई अगर कहे कि मुझे सबसे सुंदर किताब कौनसी लगी है, तो मैं कहूँगा कि इस जगत से बढ़कर कोई श्रेष्ठ किताब नहीं है और जीवन से बढ़कर कोई शास्त्र नहीं है। मैं पाठक हूँ, अध्येता हूँ जीवन का, जगत का, मैं दृष्टा हूँ जीवन-जगत की अपने सामने होने वाली हर इहलीला का।
- श्री चन्द्रप्रभ
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org