Book Title: Jinvani Special issue on Pratikraman November 2006
Author(s): Dharmchand Jain
Publisher: Samyag Gyan Pracharak Mandal

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Page 5
________________ 15.17 नवम्बर 2006 जिनवाणी, विषयानुक्रमणिका प्रकाशकीय सम्पादकीय प्रतिक्रमण : शास्त्र और व्यवहार प्रतिक्रमण : आत्मविशुद्धि का अमोघ उपाय : आचार्यप्रवर श्री हीराचन्द्र जी म.सा. प्रतिक्रमण : जीवन-शुद्धि का उपाय : आचार्यप्रवर श्री हस्तीमल जी म.सा.. प्रतिक्रमण अपनाएँ : मधुरव्याख्यानी श्री गौतममुनि जी म.सा. आवश्यकों की महिमा : तत्त्वचिन्तक श्री प्रमोदमुनि जी म.सा. प्रतिक्रमण आवश्यक : स्वरूप और चिन्तन : उपाध्याय श्री रमेशमुनि जी शास्त्री प्रतिक्रमण का पहला चरण : आत्मनिरीक्षण : आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी प्रतिक्रमण सूत्र : एक विवेचन :: श्री सौभाग्यमल जैन प्रतिक्रमण का मर्म : श्री जसराज चौपड़ा श्रमण प्रतिक्रमण : एक विवेचन : शासनप्रभाविका श्री मैनासुन्दरीजी म.सा. आवश्यक सूत्र : विभाव से स्वभाव की यात्रा : साध्वी श्री नगीनाश्री जी अनुयोगद्वार सूत्र में षडावश्यक के गुणनिष्पन्न नाम : साध्वी श्री हेमप्रभा जी 'हिमांशु' दोषमुक्ति की साधना : प्रतिक्रमण : श्रीमती रतन चोरडिया प्रतिक्रमण की उपादेयता : श्री अरूण मेहता जैन साधना का प्राण : प्रतिक्रमण : श्रीमती शान्ता मोदी प्रतिक्रमण : एक विहंगम दृष्टि : डॉ. बिमला भण्डारी प्रतिक्रमण की सार्थकता : डॉ. सुषमा सिंघवी Pratikramana : An austerity for self-purification : Dr. Ashok Kavad प्रतिक्रमण : एक आध्यात्मिक दृष्टि : श्री फूलचन्द मेहता द्रव्य प्रतिक्रमण से जायें भाव प्रतिक्रमण में : श्री उदयमुनि जी म.सा. खरतरगच्छ और तपागच्छ में प्रतिक्रमण सूत्र की परम्परा : श्री मानमल कुदाल 105 110 112 118 - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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