Book Title: Jinvani Special issue on Pratikraman November 2006 Author(s): Dharmchand Jain Publisher: Samyag Gyan Pracharak Mandal View full book textPage 3
________________ जिनवाणी 15,17 नवम्बर 2006 जिनवाणी प्रतिक्रमण विशेषाङ्क : अक्टूबर-नवम्बर २००६ वीर निर्वाण सम्वत् २५३३ कार्तिक-मार्गशीर्ष, सम्वत् २०६३ वर्ष-६३ अंक- १०, ११ प्रकाशक प्रेमचन्द जैन मंत्री-सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल दुकान नम्बर १८२-१८३ के ऊपर, बापू बाजार जयपुर-३०२००३(राज.), फोन नं. ०१४१-२५७५९९७, फैक्स ०१४१-२५७०७५३ संरक्षक अखिल भारतीय श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ घोड़ों का चौक, जोधपुर (राज.), फोन नं. ०२९१-२६३६७६३ संस्थापक श्री जैन रत्न विद्यालय, भोपालगढ़ सम्पादकीय सम्पर्क सूत्र ३K २४-२५, कुड़ी भगतासनी हाउसिंग बोर्ड जोधपुर-३४२००५(राज.), फोन नं. ०२९१-२७३००८१ भारत सरकार द्वारा प्रदत्त रजिस्ट्रेशन नं. 3653/57 डाक पंजीयन सं. RJ/JPC/M-018/2006-08 सदस्यता स्तम्भ सदस्यता ११,००० रु. संरक्षक सदस्यता ५,००० रु. आजीवन सदस्यता देश में ५००रु. आजीवन सदस्यता विदेश में १०० $ (डॉलर) त्रिवर्षीय सदस्यता १२० रु. वार्षिक सदस्यता इस विशेषाङ्क का मूल्य ५०रु. ड्राफ्ट 'जिनवाणी' जयपुर के नाम बनवाकर प्रकाशक के उपर्युक्त पते पर प्रेषित किया जा सकता है। मुद्रक : दी डायमण्ड प्रिन्टिंग प्रेस, मोतीसिंह भोमियों का रास्ता, जयपुर, फोन नं. २५६२९२९ नोट: यह आवश्यक नहीं कि लेखकों के विचारों से सम्पादक या मण्डल की सहमति हो । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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