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श्री सुमतिनाथ जी जोगिया, आसावरी
श्री पद्मप्रभजी
श्री सुपार्श्वनाथ जी श्री चंद्रप्रभुजी श्री पुष्पदंत जी
श्री शीतलनाथ
श्री श्रेयांसनाथ जी
१० से ११
११ से १२ १२ से १ १ से २ दोप. २ से ३ दोप, ३ से ४ सायं ४ से ५ ५ से ६
सायं ६ से ७ रात्रौ ७ से ८
रात्रौ ८ से ९ ठुमरी (खमाज) रात्रौ ९ से १० ठुमरी ( खमाज) रात्रौ १० से ११ देशखास रात्रौ ११ से १२ सोरठ (खास) रात्रौ १२ से १ बिहाग
रात्रौ १ से २
जयजयवंती उत्तररात्री २ से ३
मैरूनर
सारंग
पीलू पंजाबी ठुमरी
श्री वासुपूज्य जी
श्री विमलनाथ जी
श्री अनंतनाथ जी
श्री धर्मनाथ जी
श्री शांतिनाथ जी श्री कुंथुनाथ जी श्री अरहनाथ जी
श्री मल्लिनाथ जी श्री मुनिसुव्रतनाथ जी श्री नमिनाथ जी
ग्रन्थ- समीक्षा
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खास बरवा झंझोरी
उंकोटिकी
जंगला तुमरी
धनाश्री
धानी
श्यामकल्याण
सबके रहस्य समीक्षक
आज के युग में व्यक्ति की याददाश्त कमजोर | होती जा रही है, उसे याद ही नहीं रहता कि हम कैसे धर्ममार्ग की ओर अग्रसर हों? साधुओं के दर्शन तो करते हैं, लेकिन उसके मन में जिज्ञासा रहती है कि साधुओं के पूर्व जीवन के बारे में भी जानें, क्योंकि आम लोगों की धारणा यही रहती है कि साधु वही बन जाते हैं जिनके कुछ व्यवसाय, नौकरी आदि नहीं होती है। लेकिन वर्तमान में यह धारणा परिवर्तित करते हुए आ० श्री विद्यासागर जी से कुछ पढ़े लिखे नौजवानों ने नौकरी करने के बाद भी दीक्षा ली है। इन्हीं रहस्यों को इस पुस्तक में खोला गया है। इस पुस्तक में आ० श्री विद्यासागर जी की ग्रीष्मकालीन वाचना सन् २००८ विदिशा में विराजमान साधुओं का जीवनपरिचय, भाई-बहिन के नाम
श्री नेमिनाथ जी
श्री पार्श्वनाथ जी
श्री महावीर जी
इन ग्रंथों के अतिरिक्त, कवि भूधरदास, भागचंद, बुधचंद, द्यानतराय, दौलतराम, आदि कवि विद्वानों ने संगीतसेवा काफी की है, ऐसा उन्होंने रागदारी में की हुई पदसंग्रह - पद्यरचनाओं से समझ में आता है।
यह काफी त्रुटिपूर्ण मालुमात हो सकती है। आज जैनसंगीत की ओर विशेष किसी का ध्यान नहीं है, फिर भी अब तक की गई उपेक्षा समाप्त हो कर संगीत प्रेमी, विद्वज्जन, जैनसंगीतशास्त्र तथा जैनसंगीत प्रचार में लाएँ, यही भावना हम भा सकते हैं।
संदर्भ : यह लेख 'पूर्णा' पर आधारित है। संदर्भसूचि : पूर्णार्घ्य पान नं. ७८७ से ७९८
: सर्वार्थसिद्धि : कार्तिकेयानुप्रेक्षा
जंगला
परज
परज
उत्तररात्रौ ३ से ४
उत्तररात्रौ ४ से ५
उत्तररात्रौ ५ से ६
डॉ० अजित कुमार जैन, विदिशा
पुस्तक का नाम सबके रहस्य, संकलन कर्ता
डॉ० महेन्द्र जैन, प्रदीप जैन, प्रकाशक का
नाम : शांतिनाथ प्रकाशन समिति विदिशा, प्राप्तिस्थान: श्री अनिल जैन (टिवरी वाले), आदि ट्रेडर्स भण्डारा रोड इतवारी बाजार नागपुर २, (महा.) मो. ०९४२२११४१८०
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प्रथम संस्करण - २८.१०.२००८, मूल्य ४५/- ( लागत मूल्य ८२ /-) साइज: २१x१४ सेमी., पृष्ठ- १४४ रंगीन चित्र मल्टीकलर।
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कोपरगाँव (महाराष्ट्र )
( जन्म क्रम से ) ( गृहस्थ जीवन का पता ) शोध कार्यों (पी. एच. डी.) आदि के लिए ४x६ के चित्र सहित दिया गया है और सूतक संबंधी शास्त्रीय विषय, पूजन के वैज्ञानिक एवं चिकित्सा संबंधी पहलू दिये गये हैं, हस्तमुद्रा चिकित्सा, शिखरजी, कैलाश पर्वत २४ तीर्थंकर, ह्रीं, णमोकार मंत्र, स्वस्तिक, ऊँ आदि का ध्यानसंबंधी विषय चित्र सहित दिया गया है और चौघड़िया समय के अनुसार एवं विशेष शुभ मूहूर्ती का विवरण दिया गया है। वास्तव में इस पुस्तक का नाम 'सबके रहस्य' सार्थक ही हो गया है। इस पुस्तक में जो रहस्य है वह अन्य जगह दुर्लभ है। यह पुस्तक एलवम एवं डायरेक्ट्री का कार्य भी करेगी और ध्यान केन्द्र तथा कैलेण्डर का भी। इसलिये यह सबके लिए लाभदायक सिद्ध होगी। फरवरी 2009 जिनभाषित 21
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