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दसरी ओर १२ श्वेताम्बरों की विराजमान हैं। मंदिर की। में किया जाकर ग्राहय बनाना पड़ता था। हाँ, पंचकल्याणक बाह्य प्रवेश भित्ति पर एक ओर हनुमान जी की मूर्ति में बने सौधर्म इन्द्र आदि व नृत्यांगना कन्याएँ अमेरिकन उकेरी गई है, जो धनुष खींचे हुये हैं, दूसरी ओर लक्ष्मी, | ही थीं, पूर्ण समर्पित। व्रत, त्याग, उपासना, प्रक्रिया सभी सरस्वती और पद्मावती की मूर्तियाँ निर्मित हैं। स्थापना | कल्याणक भारतीय पद्धति से सम्पन्न कराये गये। भारतीय के समय भी देखा गया कि २६ दिसम्बर ०८ को पहले | भोजन की व्यवस्था थी। दरअसल पंचकल्याणक महोत्सव श्वेताम्बरों ने अपनी विधि से पूजा अर्चना कर प्रतिमायें | आत्मा से परमात्मा बनने की आध्यात्मिक प्रक्रिया का प्रतिष्ठित कर लीं बाद में दिगम्बरों ने की। भारत की | आयोजन है। जिनबिम्ब तब तक पूज्यनीय नहीं होता, तरह प्राण-प्रतिष्ठा का सूर्यमंत्र किसी मुनिवर ने तो नहीं | जबतक कि उसकी विधिवत् प्राणप्रतिष्ठा नहीं हो जाती। दिया, क्योंकि भारत से पूज्य मुनिवर समुद्रपार पहुँच ही | सम्पूर्ण आध्यात्मिक प्रक्रिया के बाद सूर्यमंत्र देने के बाद नहीं सकते थे, पर मोक्षकल्याणक आदि के समय विधिवत् | ही पाषाणी अथवा धातुई प्रतिमाएँ पूज्यनीय हो पाती हैं निग्रंथ दिगम्बर जैनमुनिवर को ही स्मरण कर वंदनायें | और उनमें भगवान् की सी आस्था जागृत हो जाती है।
और प्रणाम किये गये। ऐसा नहीं लगा कि निश्चयनयवाले | इस अवसर पर किसी एक मूलनायक तीर्थंकर का उनके मुनियों की वंदना नहीं करते।
अतीत की तरह गर्भ, जन्म, तप, मोक्ष और केवलज्ञान अमेरिका में बना फिनिक्स जैनमंदिर बहुत शानदार, इन पाँचों कल्याणकों का नाट्याभिनय जीवंत रचा जाता संगमरमर से बना है। ४ एकड़ जमीन में से लगभग | है, जिसमें समाज के सभी वर्ग सोत्साह सम्मिलित होकर एक एकड़ जमीन के प्रांगण में, मंदिर हालाँकि दस हजार | आध्यात्मिक भागीदारी करते हैं। प्रत्येक कल्याणक के वर्गफीट पर ही निर्मित हुआ है, पर सामने संगमरमर | समय के विचारों का विशद् उपदेश विशेषज्ञों द्वारा समझाया का नक्काशीयुक्त उत्तुंग मानस्तंभ निर्मित किया गया है जाता है, जिससे मनुष्यों में भी तीर्थंकरों की सी और बगीचे बने हुये हैं। लंदन के मंदिर की अपेक्षा | आत्मविकास और आत्मोन्नति की भावना जागृत होती तो यह काफी विशाल और नक्काशीयुक्त है। लागत व्यय | है और वे भी अपने त्याग व तपस्या से अपने जीवन
नयन डॉलर यानी तीस लाख डॉलर, | का कल्याण करते हैं। अनेक प्राणी सत्य, अहिंसा, अचौर्य, अनुमानतः १५ करोड़ रूपये आया है।
राग-द्वेष, अपरिग्रह ब्रह्मचर्य के संकल्प लेते हैं। इससे इस भव्य जिनालय में एक कक्ष श्रीमद्राजचन्द्र | मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। इसीलिये जैन धर्म एक गुरु और एक स्थानकवासियों का नियत है। द्रव्य, वस्त्रों | सम्प्रदाय न होकर मौलिक जीवनदर्शन माना जाता है,
और प्रसाधनों के लिये भी स्थान पृथक् नियत हैं। प्रशंसनीय | जिसमें मनुष्य भौतिकवादी न होकर त्यागी और विवेकशील यह है कि जनवरी २००८ में नक्शा पास कराया व फरवरी हो आत्मकल्याण कर परमसुख की प्राप्ति अर्थात् मोक्ष २००८ में निर्माण कार्य शुरू हुआ, और लीजिये भारत | प्राप्त कर सकता है। हालाँकि समारोह में दक्षिण अफ्रीका, से संगमरमर भी आ गया, उपयुक्त वास्तु का चयन भी | इग्लैण्ड, इण्डिया आदि सभी देशों से लगभग दो-तीन एवं शानदार मंदिर बन कर तैयार। दिसम्बर २००८ में | हजार जैन अनुयायी एकत्रित हुये थे, जिन्हें प्रसिद्ध होटल भव्य पंचकल्याणक द्वारा प्राणप्रतिष्ठा भी सम्पन्न हो गई। मेरियट में ही ठहराया गया था और पंचकल्याणक की यह कमाल सचमुच गहन निष्ठा के कारण ही संभव | पूरी प्रक्रियाएँ उसी विशाल होटल के बड़े-बड़े बालरूम्स हो सका। हम जिस पाँच सितारा होटल जे.डब्ल्यू.मेरियट /हॉल्स में सम्पन्न कराये गये थे। एक तरफ के बालरूम डी. में कार्यक्रम स्थल पर ठहराये गये थे, वहाँ से शहर में मंदिर की दूरी लगभग २७ मील है। जैनमंदिर की बालरूम में श्वेताम्बर आम्नाय के पाँचों दिन पंचकल्याणक मर्तियाँ भारत से ही गई थीं। प्रतिष्ठा के लिये सभी सम्पन्न हये। सांस्कृतिक कार्यक्रम दोनों पक्षों के सम्मिलित सामग्री भारत से मँगाई थी। पंडित, विद्वान्, कवि, संगीतकार | रूप से दिगम्बर आम्नायबाले बालरूम में ही होते थे। सभी भारतीय, ऐरावत हाथी अवश्य वहीं कृत्रिम और | यह होटल लगभग ८०-१०० एकड़ में फैला है, जिसमें पहियों पर चलने वाला निर्मित था, साहित्यादि भी भारतीय ९५० कमरे और अनेक विशाल बालरूम्स सुसज्जित बने पर गीतों व प्रवचन का अनुवाद कभी-कभी अंग्रेजी | हुये हैं। इसके स्वीमिंग पूल्स, झरने बगीचे अपने आप
- फरवरी 2009 जिनभाषित 25
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