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बिस्किट और दिग्भ्रमित ग्राहक भ. १००८ श्री आदिनाथ युवक संगठन, फलटन (जि.-सातारा) महाराष्ट्र की ओर से
__ भ. महावीर जयंति के शुभ अवसर पर प्रकाशित पत्रक
सब प्रकार के पॅकेज्ड फूड के लिए सरकार ने | आटा, पानी में कई घटक मिलाकर बिस्किट बनाये कानून बनाये हैं। उस कानून के तहत सभी खाद्यपदार्थों | जाते हैं। इनमें रंग, सुगंधित द्रव्य प्रिजरर्वेटिवज्, एंटीपर शाकाहारी या मांसाहारी लिखना अनिवार्य है। परंतु | ऑक्सीडंट, थिकनरर्स, स्वीटनर्स, स्टेबिलाजर्स, एसिडिटी, दुर्भाग्य की बात है कि इस कानून पर अमल करनेवाले | रेग्युलेटर्स, आदि अनेक एक्टीवेटिब्ज, प्राणीजन्य पदार्थों से सरकारी अधिकारी रिश्वत के चंगुल में फँसते हैं और इन | बनाये जाते हैं। उदाहरण- अन्नपदार्थ और पेयपदार्थों में पॅकेज्ड फूड के कानून से छुटकारा पाने के कई अवैध | लाल रंग यह कोचिनियल बीटल्स (Cochineal Beetles) मार्ग अपनाये जाते हैं। मछली, अण्डे या मांस जिन पदार्थों | से बनाया जाता है। मेक्सिकन कीड़ों से यह रंग बनता है। में मिलाया जाता हो, उन पर लाल निशान होना आवश्यक | इसका मतलब यह है कि यह रंग वनस्पतिजन्य नहीं है। है और जिन पदार्थों में शाकाहारी पदार्थ मिलाये गये हैं, इ-नंबर्स- बिस्किट के पैकेट पर देखिये, उसपर उन पर हरा निशान आवश्यक है। यह हरा निशान ही अब | (E-Numbers) लिखे होते हैं। योरोपीय देशो में 'ई-नम्बर' ग्राहकों को दिग्भ्रमित कराने के लिए और फँसाने के लिए | की पद्धति आवश्यक की है। 'पार्ले जी' का नया 300 उपयोग में लाया जा रहा है। ऐसे कई केसेस हैं जिनमें | ग्राम का पैक लीजिए। उसको ध्यान से पढ़िए, उसमें मांसाहारी पदार्थ उपयोग में लाये जाते हैं और वे विटामिन | इम्युलसि-फायर्स 322, या 471 और 481 नम्बर छपा हुआ के नाम पर चला दिए जाते हैं। ग्राहकों को कभी नहीं बताया | है। कुछ माल पर कॅल्शियम सॉल्ट A 233 S > 0 जाता कि विटामिन 'ए' यह मछलीतेल से किया गया | कंडिशनर 223 और इस प्रकार के ई-नम्बर अत्यंत बारीक उत्पादन है। ऐसे अनेक पदार्थों पर हरा निशान भी नहीं | अक्षरों में छपे हुए होते हैं, परंतु पढ़े जा सकते हैं। लगाया जाता। मिठाई में भी ये ही मांसाहारी पदार्थ उपयोग सच्ची रहस्यकथा तो यहीं से आरंभ होती है। में लाये जाते हैं। यह जानकर कई शाकाहारी सज्जनों को | देशभर के बिस्किट-उत्पादक उपर्युक्त पदार्थ विदेशों से चक्कर आ जायेगा। (कुछ मंदिरों में महावीरजयंति के अवसर | मँगाते हैं। उसके लिए केंद्रशासन से परमिट आवश्यक होता पर बीमार लोगों को बिस्किट बाँटे जाते हैं। क्या यह उचित | है। सब मांसाहारी अंतर्घटक हैं। उसके लिए मांसाहारी
| आयात परमिट (अनुज्ञापत्र) बिस्किट-उत्पादक कंपनियाँ बिस्किट : कितने शाकाहारी कितने मांसाहारी? सरकार से प्राप्त करती हैं। परंतु देश में उन घटकों को
कुछ महिनों पहले २४ लोकसभा सदस्यों ने केन्द्रीय | शाकाहार के नाम पर बेचकर ग्राहकों को ठगा जाता है। अन्न प्रक्रिया मंत्रालय से बेकरी माल और बिस्किट उत्पादन | अगर शाकाहारी माल मँगाना होता, तो उनके लिए मांसाहारी कंपनियों की जाँच करने की मांग की थी। उनकी शिकायत | परमिट की क्या जरुरत थी? यह सादा, सरल प्रश्न है। के अनुसार इन खासदारों ने आरोप लगाया है कि बेकरी | केन्द्र सरकार 'अन्न प्रक्रिया मंत्रालय' को भी इसके बारे माल और बिस्किट्स में प्राणियों की चरबी (Animal Fat) | में 'न खेद न दुःख' शाकाहारी जनता तो इसकी बली चढ़ उपयोग में लायी जाती है। यह चरबी सुअर, गाय, कुत्ता | जाती है, विशेषतः अहिंसाधर्मीय जैन, ब्राह्मण आदि समाज
और बंदरों को कत्ल कर बिस्किट उत्पादनों में उपयोग के साथ तो यह सीधा-सीधा धोखा है। निम्नलिखित नंबर्स में लायी जाती है। इस गम्भीर शिकायत के तहत देशभर | उनके लिए नहीं है, यह ध्यान में रखा जाए। A-120, 441, में ब्रिटानिया मिल्क विक्कीज, मेरी गोल्ड, टायगर, गुड डे, | 542, 904, 920 के साथ ही ल्यूसीन (Leucine) और पार्ले जी, मोनॅको, हाईड और सिक इन कंपनियों की जाँच, | (Spermaceti/Sperm) इनके कोई नम्बर नहीं होते। व्हेल केंद्र सरकार ने आरंभ कर दी है। इससे कुछ गम्भीर बातें | मछली के सिर का सफेद चरबीयुक्त पदार्थ ही स्पर्मासेटी ग्राहकों के सामने आ रही हैं। बिस्किट कैसे बनते हैं?
हिन्दी अनुवाद : सौ. लीलावती जैन 18 दिसम्बर 2007 जिनभाषित
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