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साक्षी बने वे गुरुवर की ऐसी आराधना को देखकर दंग । के रूप में ख्यात हैं। उनके बारे में मुनि श्री क्षमासागर रह गये, स्वयम् के भाग्य को सराहे बिना नहीं रह सकें।| जी की कविता की निम्न पंक्तियाँ सटीक हैं।
आचार्यश्री विद्यासागर जी के प्रभावक शिष्य 105 यह जानते हुए भी ऐलक श्री नि:शंकसागरजी महाराज के सुसान्निध्य और कि किसी को कुछ नहीं दे पाऊँगा, लायंस क्लब रीजन इन्दौर के डॉ. के.बी. माहेश्वरी, अध्यक्ष दिया भी नहीं जा सकता राजेन्द्र सिंह जी चौहान, ला. सचिन जी जैन तथा विकलांगों मन करता है के लिये विशेष समर्पित विनयजी जैन के सहयोग और कि अपने को समूचा दे दूँ। उपस्थिति में मानवता के सेवार्थ 38 विकलांग पीड़ित इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में श्रीमंत बंधुओं को तीनपहिया सायकिलें प्रदान की गई। ऐलकश्री | सेठ डालचंद जी ने अपने संबोधन में कहा कि सिंघई ने कहा कि आप पतित पावन बनें, महान् बनें। मन से, | जी की धार्मिक सेवा पैतृक संपत्ति के रूप में उन्हें मिली आत्मा से परेशान न हों। आज की शारीरिक कमजोरी पूर्व | है। धार्मिक संस्कारों का पालन करते हुए उनकी अगली जन्म के कर्मों से है। अब मानवता को बदनाम करने वाला | पीढ़ी भी इस दिशा में अग्रसर है। ऋषभ समैया, निर्मलचंद कार्य न करें तथा समाज के सहयोग को परमात्मा को स्मरण | निर्मल, नेमिचंद विनम्र ने अपनी काव्यांजलि भेंट की। श्री करते हुए स्वीकार करें।
कपूरचंद घुवारा विधायक एवं अध्यक्ष हस्तशिल्प निगम निर्मलकुमार पाटोदी, इन्दौर | म.प्र. शासन ने इस अवसर पर कहा कि सन् 1992 से संतमना सिंघई जीवन कुमार जी का 80वाँ । | मैं सिंघई जी के निकट सान्निध्य में हूँ। उनमें मैं पूज्य
जन्म दिवस समारोह सम्पन्न । वर्णी जी की छवि देखता हूँ। श्रीमती सुधा जैन 'विधायक' सागर/बी.एस.जैन धर्मशाला सागर में एक सादे | सागर ने इस अवसर पर कहा कि समाजसेवा में अग्रणी, गरिमामय समारोह में सिंघई जीवन कुमार जी के 80वें जन्म | "सादा जीवन उच्च विचार" को जीवन्त करने वाले श्री दिवस पर जैन समाज के प्रतिष्ठित वरिष्ठजन, व्यापारीजन | सिंघई जी ने समाज को अपने उच्च आदर्शों से संस्कारित एवं शुभचिंतक उपस्थित हुये। समाजसेवी, दानवीर, जैन | किया व मार्गदर्शन दिया है। उनका आशीर्वाद दीर्घ काल जाति भूषण सिंघई कारेलाल कुन्दनलाल जी के परिवार | तक हमें मिलता रहे। इस अवसर पर सेठ मोतीलाल जी, में जन्में सिंघई जीवन कुमार ने अपने परिवार के संस्कारों | डॉ. जीवन लाल जी, डॉ. भागचंद जी भागेन्दु दमोह, वीरेन्द्र के अनुरूप अपने जीवन को ढाला। वे पूज्य मुनिश्री | कुमार जी इटोरिया दमोह, महेन्द्र कुमार जी सिंघई, जबलपुर क्षमासागर जी के गृहस्थ जीवन के पिताश्री हैं। अपने व अभिनंदन सांधेलीय पाटन ने सभा को संबोधित किया। मृदुव्यवहार, संतसेवा, उच्च विचार एवं एक आदर्श पुरुष |
अभिनंदन सांधेलीय, पत्रकार
पराया घर भोपाल में महावीर जयंती मनाने के उपरान्त सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर की ओर विहार हो गया। कुछ दिन पश्चात् हमारे पैर में दर्द शुरु हो गया कारण 'हरपिश' रोग हो गया यह बड़ा खतरनाक पीड़ादायक रोग माना जाता है। मैंने आचार्य श्री जी से कहा कि न जाने आचार्य श्री जी कौन से कर्म का उदय आ गया जो इतना बड़ा रोग घेर गया। आचार्य श्री जी ने कहा, भैया- "यह कर्म का उदय पराये घर के समान है।" जिसमें हमारी कुछ नहीं चलती। आचार्य श्री ने हमें एक ऐसा सूत्र दिया जिसके माध्यम से जीवन में आये हये कर्मों के उदय को हम समता के साथ सहन कर सकते हैं।
मुनि श्री कुंथुसागर-कृत संस्मरण' से साभार
32 दिसम्बर 2007 जिनभाषित
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