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संस्थान, सांगानेर के लिए दी गई सेवाओं के लिए पं. रतनलाल जी बैनाड़ा का अभिनंदन किया गया। अधिवेशन की अध्यक्षता डॉ. श्रेयांसकुमार जैन (अध्यक्ष-शास्त्रि परिषद्) एवं डॉ. शीतलचंद जैन (अध्यक्ष- विद्वत्परिषद् ) ने की । संचालन दोनों परिषदों के मंत्री प्रो. अरुणकुमार जैन एवं डॉ. सुरेन्द्रकुमार जैन भारती ने किया। अ.भा. दि. जैन शास्त्रि परिषद् एवं अ.भा. दि. विद्वत्परिषद् के द्वारा संयुक्तरूप से पारित प्रस्ताव इस प्रकार है
प्रस्ताव - १. 'दिग्विजय' पत्रिका की अनर्गल टिप्पणियों की भर्त्सना और निंदा
अ. भा. दि. जैन शास्त्रि परिषद् एवं अ.भा. दि. जैन विद्वत्परिषद् का यह संयुक्त अधिवेशन दि. ४ अक्टूबर, २००६ को उदयपुर, राज. में आयोजित संयुक्त अधिवेशन में समाज के नाम जारी ११ - सूत्रीय अपील के संदर्भ में इंदौर से श्री हेमन्त काला, श्री भरत काला आदि के संपादकत्व में प्रकाशित ‘दिग्विजय' पत्रिका में एवं उदयपुर आदि में आयोजित सभाओं में जन-जन के आराध्य परम पूज्य संतशिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज एवं उनके आज्ञानुवर्ती शिष्य मुनिपुङ्गव श्री सुधासागर जी महाराज के विषय में जो अनर्गल टिप्पणियाँ की गई है, उसकी हम घोर भर्त्सना एवं निंदा करते हैं तथा इस प्रवृत्ति को निर्दोष साधुओं के चारित्र को मलिन बनाने का कुत्सित प्रयास मानते हैं इस प्रवृत्ति की अ. भा. दि. जैन शास्त्रि परिषद् एवं अ.भा.दि. जैन विद्वत्परिषद् एक स्वर से निंदा करती
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मुनिपुङ्गव श्री सुधासागर जी महाराज के संघस्थ पूज्य क्षुल्लक द्वय के मात्र क्षुल्लक ही बने रहने, मुनि न बनने की निराधार बात कहकर जो आलोचना की है वह आगम विरुद्ध है।
प्रस्तावक - पं. जयंतकुमार जैन शास्त्री, सीकर, समर्थक - पं. सनतकुमार जैन, खिमलासा, डॉ. विमला जैन, फिरोजाबाद संयुक्त अधिवेशन में सर्वसम्मति से पारित डॉ. श्रेयांस कुमार जैन एवं डॉ. शीतलचंद जैन के हस्ताक्षरों से प्रमाणित / स्वीकृत |
अ. भा. दि. जैन शास्त्रि परिषद् एवं अ.भा.दि. जैन विद्वत्परिषद् का यह संयुक्त अधिवेशन सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित करता है कि वर्द्धमान कॉलेज, बिजनौर, में
जुलाई, २००७ से स्थापित जैन विद्या अध्ययन एवं अनुशीलन केन्द्र की स्थापना एक शुभ कार्य है, जो जैन संस्कृति एवं धर्म के प्रचार एवं प्रसार की दृष्टि से परम उपयोगी है। एतदर्थ यह अधिवेशन कॉलेज प्रबंध समिति के माननीय अध्यक्ष श्री रविप्रकाश जैन एवं सचिव श्री कान्तिप्रकाश जैन तथा समस्त पदाधिकारी एवं सदस्यों के इस सार्थक प्रयत्न का हार्दिक अनुमोदन करता है तथा भविष्य में केन्द्र की अभिवृद्धि की हार्दिक कामना करता है।
प्रस्तावक - डॉ. जयकुमार जैन, मुजफ्फरनगर, समर्थक - डॉ. विजयकुमार जैन, लखनऊ
अधिवेशन से पूर्व दि. २५ से २७ अक्टूबर तक मूलाचार अनुशीलन चतुर्दश राष्ट्रीय विद्वत्संगोष्ठी संपन्न हुई जिसमें ४३ विद्वानों, विदुषियों ने शोध पत्रों का वाचन किया तथा शताधिक विद्वानों ने चर्चा में भाग लिया। संगोष्ठी एवं अधिवेशन के पुण्यार्जक श्री हंसराज जी के सुपुत्र सर्वश्री अमृतलाल, नरेन्द्रकुमार, शरदकुमार, संतोषकुमार जैन, खान्दू कॉलोनी, बांसवाड़ा थे। इस अवसर पुण्यार्जक श्री शरद जैन ने आयोजन को अभूतपूर्व बताते हुए कहा कि हमारी अनेक उलझी हुई गुत्थियाँ सुलझ गयी हैं। उन्होंने कहा कि यदि मुनि श्रावकाचार पढ़ें तो वे जान लेंगे कि हम ( श्रावक ) कैसे हैं? और हम मूलाचार पढ़ें तो हम भी जान लेंगे कि वे ( मुनि) कैसे हैं? इस अवसर पर अपने शुभाशीर्वाद में परम पूज्य मुनिपुङ्गव श्री सुधासागर जी महाराज ने कहा कि- साधुता की कसौटी मूलाचार है और सभी साधुओं को इसी के अनुसार अपनी चर्या और चर्चा करना चाहिए। शिथिलाचार न कभी स्वीकार्य था और न कभी स्वीकार होगा ।
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इन्दौर 22 नवम्बर 2007 | संत शिरोमणी 108 आचार्य श्री विद्यासागर जी एक ऐसे महान् संत है जिनके प्रस्तावक - २. जैन विद्या अध्ययन एवं अनुशीलन चरणों में जैन- अजैन समाज रूप से श्रद्धा के साथ नतकेन्द्र स्थापना की सराहनामस्तक हो जाते है । ऐसे आत्म कल्याणी महासंत का 36वाँ आचार्य पद पदारोहण दिवस आज तुकोगंज स्थित उदासीन श्रावक आश्रम मंदिर परिसर में भक्तिभाव से मनाया गया । संयम, सेवा, त्याग, परमार्थ के इस आयोजन के जो भी
दिसम्बर 2007 जिनभाषित 31
डॉ. सुरेन्द्रकुमार जैन मंत्री- अ.भा. दि. जैन विद्वत्परिषद्, एल- ६५, न्यू इंदिर नगर, बुरहानपुर
संयम, सेवा, त्याग, परमार्थ से जुड़ी अनूठी आचार्य भक्ति
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