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जरा सोचिए गाय के बारे में
श्रीमती मेनका गाँधी
दीपावली के दूसरे दिन गाय आदि पशुधन की पूजा की जाती है। रंग बिरंगे छापों और फूल से इन्हें सजाया जाता है। पर्यावरणविद् मेनका गाँधी ने गाय के महत्त्व को समझते हुए अंतरमन से यह महसूस किया है। उन्होंने इस आलेख में विश्व में इस उपयोगी पशु की क्या स्थिति है, इस पर गहरा चिंतन-मनन करते हुए ऐसे तथ्य दिए हैं, जो हमें सोचने के लिए विवश करते हैं।
कुछ वर्ष पूर्व एक अँगरेज महिला, जिसे पशुओं । अनाज प्राप्त करने के लिए किसी बटन को दबाकर अनाज के हावभाव समझने का वरदान था, दिल्ली में मेरे आश्रय निकाल सकती है। मानव की तरह ही गाय शीघ्रता से में आ गई थी। एक गाय के पास से जाते हुए वह मेरी उन चीजों से दूर रहना सीख लेती है, जिससे उन्हें दर्द ओर मुड़ी और कहा कि 'यह गाय कहती कि उसके होता है, जैसे कि इलेक्ट्रिक बाड़ तथा क्रूर मनुष्य । सिर में अभी भी दर्द होता है।' उस महिला को पहले से यह नहीं पता था कि उस गाय का कोई एक्सीडेंट हुआ है।
गायों में एक-दूसरे से सीखने की क्षमता भी होती है, जो कि उनकी बुद्धिमत्ता का एक और सूचक है, जिसकी तुलना कुत्ते से की जा सकती है। ह्यूमन सोसायटी ऑफ यूनाइटेड स्टेट्स के अनुसार यदि किसी गाय के झुंड में एक गाय को किसी इलेक्ट्रोनिक बाड़ झटका लगता है, तो शेष भी सचेत हो जाती हैं और उससे बचने लगती हैं। उनकी शक्तियाँ काफी सटीक होती हैं, विशेषकर उनकी सूँघने की शक्ति । कुत्ते के समान ही उनकी पहली मंशा आप के पास आकर आपको सूँघने की होती है। उनकी समय की समझ अद्भुत होती है। उन्हें पता होता है कि कब उनका दूध निकाला जाएगा या कब उन्हें भोजन दिया जाएगा ।
अगली बार जब भी कभी आप मांस को खाएँ अथवा चमड़े के नए जूतों को पहनें, तो याद रखें कि गाय भी अपने दर्द के बारे में बता सकती है। हम इतने होशियार नहीं है कि उनकी बोली को समझ सकें । बिस्टॉल में पशुपालन के प्रोफेसर जॉन वेबस्टर ने एनिमल वेलफेयर लिम्पिग टुवार्ड्स ईडन विषय पर हाल ही में एक पुस्तक प्रकाशित की है । वे कहते हैं कि 'लोगों ने यह मान लिया है कि चूँकि पशुओं का मस्तिष्क छोटा होता है, इसलिए उन्हें मानव से कम पीड़ा होती है। यह एक दयनीय तर्क
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है । '
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में पशु कल्याण के प्रोफेसर storड ब्रूम यह बताते हैं कि किस प्रकार गाय बौद्धिक चुनौतियों को हल करने के लिए उत्साहित रहती है। एक अध्ययन में अनुसंधानकर्ताओं ने गाय को करने के लिए एक क्रिया दी, जिसमें उन्हें यह पता लगाना था कि दरवाजा खोलकर भोजन कैसे प्राप्त किया जाए। उनके मस्तिष्क की तरंगों को मापने के लिए एक 'इलेक्ट्रोएनसेफलो ग्राफ' का उपयोग किया गया था। उनके मस्तिष्क की तरंगों ने दर्शाया कि हल का पता लगने पर उनके हृदय की धड़कन बढ़ गई थी और कुछ तो हवा में भी उछलने लगी थीं।
अनुसंधानों ने दर्शाया है कि गाय स्पष्टतः कारण एवं प्रभाव संबंधों की जानती है। पहचानने की विकसित क्षमताओं का एक स्पष्ट लक्षण है, उदाहरण के लिए गाय प्यास लगने पर किसी पानी के फव्वारे को चलाने के लिए लीवर को चलाना सीख सकती है अथवा भूख लगने पर 16 दिसम्बर 2007 जिनभाषित
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गाय सीखे गए सबक को भूलती नहीं है। उनकी याददाश्त काफी अच्छी होती है। उन्हें अपने घर का रास्ता याद रहता है और वे अपने पसंदीदा स्थल पर वापस जाने का रास्ता ढूँढ सकती हैं (इतना तो मैं भी नहीं कर पाती) । उन्हें वस्तुएँ कहाँ रखी हुई हैं, निकलने के रास्ते, पानी पीने के स्थान, आश्रय तथा अपने नवजात बछड़े की स्थिति के बारे में याद रहता है। अनुसंधानकर्ता यह भी बताते हैं कि गाय कई माह बाद भी किसी घास के मैदान में चरने के अच्छे स्थान को याद रख सकती है। गायों द्वारा बोली में बेच दिए जाने के पश्चात् अपने मार्ग को याद रखने की क्षमताओं के कारण वापस घर लौट आने के किस्से आम हैं। कुछ गाय तो उन्हें भी कभी नहीं भूलती, जिन्होंने उसे चोट पहुँचाई होती है और उन्हें उस प्रजाति के अन्य सदस्यों के साथ भी द्वेष रखते हुए देखा गया है। रॉसामुंड यंग एक बूढी गाय तथा उसकी पुत्री के मध्य कलह का ब्योरा देते हैं कि बूढ़ी गाएँ अक्सर अपनी बेटियों
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