Book Title: Jinabhashita 2007 11
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 10
________________ जैनधर्म का प्रभाव था। कुत्ते को मारने वाले मालिक से । था, और पायथागोरस जैसे दिग्गज विद्वानों को भगवान् पायथागोरस कहते है कि 'इसे मत मारो...तुम अगले जन्म में कत्ता हो सकते हो और यह कत्ता तुम्हारा मालिक बन | संसार परिभ्रमण की मान्यता, संसारचक्र से छूटना, सब्जियों सकता है....।' इसी सदंर्भ में सुप्रसिद्ध इतिहासकार | में कुछ का निषेध आदि सभी बातें पूर्ण रूपेण जैनत्व का ज्योतिप्रसाद जैन साहब का अभिप्राय उल्लेखनीय है, वे | उदघोष करती हैं, और इसका श्रेय 'जैन साहब' भगवान लिखते है, "The Greek philosopher Pythagoras born | पार्श्वनाथ को देते हैं। 580 B.C. who was a contemporary of Mahavira and सचमुच, हमें यह मानना पड़ेगा कि भगवान् पार्श्वनाथ Buddha belived in the theory of medamsychosis, in ने लाखों-करोड़ों लोगों को धर्म सिखाया। जिन देशों में the teams migration of souls, in the doctrin of Karina, refeained from the deotruction of life and eating | मनुष्यों का खून धर्म के नाम से बहता था ऐसे कुकृत्य meat and even regarded certain Vegetables. He | को बंद करने का अद्भुत कार्य किया। भले ही पूर्ण रुपेण even claimed to possess the power of recollecting | रूका नहीं तो भी काफी सफलता मिली, इसको तो मानना his past births...... And since they were already पडेगा। विश्व के अनेक धर्मों पर भगवान् का प्रभाव था। professed in these for off lands at a time when Mahavir and Budda we just begining to preach, and एक स्थान पर मिस. एलिजाबेत फ्रेजर का कहना है कि since Here is no doubt that these ideas reached जीसस (ईसा) ने भगवान् पार्श्वनाथ का अनुसरण किया thithes from India its these remains no doubt that था, क्यों नहीं? जहाँ जीसस का जन्म हुआ था उस क्षेत्र they owned their Propogation, if not to any earlies में पहले से ही जैनधर्म का प्रभाव था। ऐसे इन महान Tirthankara, at least certainly to Parsva and his disciples." यहाँ पर मेरे अभिप्राय से कोई शंका नहीं रह | व्यक्तित्व, हमारे आराध्य, जन-जन के प्यारे भगवान् जाती कि उस सदर देश में भगवान पार्श्वनाथ का प्रभाव | पार्श्वनाथ के चरणों में नमोस्तु करते हुये लेख समाप्त करता 'कर्मण्येवाधिकारस्ते' लोकार्पण-समारोह सम्पन्न दृष्टिहीन मुकेश जैन राष्ट्रपति पुरस्कार से श्रद्धेय बाबा सा. श्री रतनलाल जी पाटनी की । सम्मानित द्वितीय पुण्य तिथि पर, श्री रतनलाल कंवरलाल पाटनी छतरपुर नगर (म.प्र.) के बहुमुखी प्रतिभा के चेरिटीज के सौजन्य से आचार्य श्री धर्मसागर दि. जैन | धनी दृष्टिहीन शिक्षक श्री मुकेश जैन को शिक्षक दिवस संस्थान के परिसर में नव निर्मित स्व० श्री भंवरलाल | पर बुधवार को देश की पहली महिला राष्ट्रपति महामहिम रतनलाल पाटनी स्मृति ब्लॉक का १० सितम्बर ०७ को श्रीमती प्रतिभादेवी सिंह पाटिल ने दिल्ली के विज्ञानभव्यतापूर्वक लोकार्पण समारोह संपन्न हुआ। समारोह | भवन में आयोजित एक अत्यंत गरिमामयी समारोह में के मुख्यअतिथि श्री लक्ष्मीनारायण जी दवे-वन पर्यावरण | 'राष्ट्रपति सम्मान' से सम्मानित किया। उल्लेखनीय है खान मंत्री, विशिष्ठ अतिथि आर.के.पाटनी परिवार के कि बुधवार को वर्ष 2006 के राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार श्री दीपचन्द्र जी चौधरी व शिक्षा उपनिदेशक श्री सुभाष | से सम्मानित श्री मुकेश जैन, नवोदय विद्यालय मानपुर जी मिश्र थे। पाटनी परिवार से सम्मानीय श्री कंवरलाल (जौरा) जिला-मुरैना में संगीत-शिक्षक के रूप में 18 जी, अशोक जी, सुरेशजी, श्रीमती चतरदेवी जी, प्रेमदेवी | वर्षों से पदस्थ हैं। जी, सुशीला जी, शान्ता जी एवं अनेक परिजन समारोह डॉ. सुमति प्रकाश जैन में उपस्थित थे। बेनीगंज, छतरपुर म.प्र. ____ नोरतमल जांझरी, सचिव, आ.श्री धर्मसागर शिक्षण संस्थान मदनगंज (किशनगढ़) राजस्थान 8 नवम्बर 2007 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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