Book Title: Jinabhashita 2007 11
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 26
________________ इन्दौर (शहर की सामाजिक संसद) के संरक्षक है, । में वर्णी भवन सागर में शिविर आयोजित कर प्रशिक्षणार्थियों दिगम्बर जैन महासमिति मध्यांचल व दिगम्बरजैन मैरिज | तथा 1 जून 1993 से श्रमण संस्कृति विद्यावर्धन ट्रस्ट में ब्यूरो के प्रमुख, दिगम्बरजैन महिला संगठन इन्दौर के प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन कर लगभग पचास प्रतिष्ठाचार्य परामर्शदाता एवं कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ इन्दौर की कार्य परिषद | तैयार किए। के उपाध्यक्ष हैं। लगभग 30 वर्षों तक महासभा परीक्षा बोर्ड | उल्लेखनीय विशेषाएँका संचालन एवं महासभा के सहायक महामंत्री तथा वर्तमान पं० श्री नाथूलालजी शास्त्री बहुआयामी व्यक्तित्व, में कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ परीक्षा संस्था के निदेशक हैं। जैन सिद्धान्त, दर्शन, न्याय, साहित्य, ज्योतिष एवं आयुर्वेद सन् 1934 से जैन तिथि दर्पण इन्दौर का संपादन । आदि के प्रकांड विद्वान्, जिनबिम्ब प्रतिष्ठा, धार्मिक विधिअनवरत चला आ रहा है। वर्तमान में इसके प्रकाशन की विधान (क्रियाकाण्ड) के निष्णात् मनिषी, परम्परा अनुसारी स्थायी व्यवस्था हेतु 'जैन तिथि दर्पण' प्रकाशन समिति का | आगम विरुद्ध क्रियाकाण्डों को बंद कर आगमोक्त प्रतिष्ठा गठन कर दिया गया है जिसके संपादक पं० विजयकुमार | विधि के सम्पूर्ण जैन समाज एवं विद्वत् वर्ग के कुशल जैन, 'शास्त्री' गोम्मटगिरि, प्रबंध संपादक श्री गुलाबचंद सम्पादक एवं मार्गदर्शक थे। समन्वयवादी दृष्टिकोण उनके बाकलीवाल, सदस्य श्री भानुकुमार जैन व श्री कमलचंद | प्रवचन, भाषण, लेखन में स्पष्टरूप से झलकता था। इसी सेठी है। आप वीर निर्वाण प्रकाशन समिति, जैन सहकारी विशेषता के कारण वे समाज के समस्त वर्गों में आदर पेढ़ी (पूर्व अध्यक्ष, वर्तमान में परामर्शदाता), वर्धमान के पात्र थे। इन्होंने केवल अध्यात्म पर प्रवचन, भाषण, विश्रांतिगृह, विद्यार्थी सहायता कोष, श्रमण संस्कृति विद्यावर्धन | अध्ययन, अध्यापन, लेखन ही नहीं किया, अपितु इसे ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं भगवान् बाहुबली गोम्मटगिरि के | अपनी जीवन शैली बनाया। यह उनकी जीवन शैली से उपाध्यक्ष तथा धन्नालाल रतनलाल काला ट्रस्ट एवं श्री | परिभाषित होता है। आध्यात्मिक भाषा में इसे 'जीने की फूलचंद गोधा प्रकाशन समिति के मंत्री, दिगम्बरजैन समाज | कला' कहते हैं। इन्दौर के संरक्षक है। सन् 1946 में मथुरा तथा सन् 1947 प्रधान सम्पादक - परिणय प्रतीक श्री गणेशवर्णी स्मृति पुरस्कार-2007 प्राचार्य पं० निहालचंद जैन को अ.भा.दि. जैन विद्वत्परिषद् द्वारा प्रतिवर्ष श्री वर्णी स्मृति एवं गुरुगोपालदास बरैय्या स्मृति पुरस्कार प्रदत्त किया जाता है। विगत् 40 वर्षों से जैनधर्म/दर्शन की प्रभावना करने तथा उसे वैज्ञानिक सन्दर्भ में प्रस्तुत करने के लिए, जैन जगत् के प्रसिद्ध विद्वान् एवं उपाध्यक्ष अ.भा.दि. जैन शास्त्रि परिषद् प्राचार्य निहालचंद जैन, बीना (म.प्र.) को इस वर्ष का उक्त पुरस्कार एवं डॉ० लालचंद जैन आरा को गुरु गोपालदास बरैय्या स्मृति पुरस्कार प्रदत्त किया गया। उक्त दोनों पुरस्कार परम पूज्य मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज के सान्निध्य एवं मंगल आशीर्वाद पूर्वक शास्त्रिपरिषद् एवं विद्वत्परिषद् के संयुक्त अधिवेशन, खान्दू कालोनी बाँसवाड़ा (राज.) में 28 अक्टूबर 07 को प्रदान किये गये। श्री मूलाचार अनुशीलन राष्ट्रीय विद्वत्संगोष्ठी में आगत विद्वानों ने दोनों विद्वानों को माल्यार्पित करके शुभकामनाएँ दी तथा पुण्यार्जक श्री राजेन्द्रनाथूलाल जैन चेरिटेबल ट्रस्ट सूरत के ट्रस्टी श्री ज्ञानेन्द्र कु०, संजय एवं नीरज गदिया परिवार द्वारा 5100/- एवं शाल, श्रीफल, प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया गया। प्राचार्य पं. लालचंद जैन, गंजबासौदा। (म.प्र.) 24 नवम्बर 2007 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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