Book Title: Jinabhashita 2007 10
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

View full book text
Previous | Next

Page 28
________________ अहिंसादिवस : भारत का राष्ट्रीयपर्व डॉ. कपूर चंद जैन हाल ही में संयुक्त राष्ट्रसंघ ने महात्मा गांधी के । ने 'बैकुण्ठ तेरे हृदय में' नामक अपनी पुस्तक से और जन्मदिवस 2 अक्टूबर को 'अहिंसादिवस' के रूप में घोषित | रस्किन ने 'अन्टु दिस लास्ट'- (सर्वोदय) नामक पुस्तक किया है। अब सम्पूर्ण विश्व में प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर | से मुझे चकित कर दिया। (पृ. ७६)। 'श्रीमद् राजचन्द्र' अहिंसादिवस के रूप में मनाया जायेगा। जैनसमाज के लिए | पुस्तक की प्रस्तावना गांधी जी ने लिखी है। गांधी जी ने यह अत्यन्त गौरव का विषय है क्योंकि सम्पूर्ण विश्व में | जिस अहिंसक युद्ध के बल पर देश को आजादी दिलाई जैनधर्म/दर्शन की पहचान अहिंसादर्शन के रूप में की जाती | उसका मूल भरत और बाहुबली के युद्ध में देखा जा सकता है एक प्रकार से जैनधर्म/दर्शन और अहिंसा पर्यायवाची | है। से हो गये हैं। महात्मा गांधी ने आधुनिकयुग में अहिंसा २ अक्टूबर को अहिंसादिवस मनाने का प्रस्ताव और सत्य के ऐसे-ऐसे प्रयोग किये जो अनूठे हैं। गांधी | जैनसमाज ने नहीं अपितु भारतसरकार ने भेजा यह भी एक जी के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि अहिंसक क्रान्ति | महती उपलब्धि है। साथ ही संयुक्तराष्ट्र महासंघ द्वारा इस के द्वारा भारतवर्ष को आजादी दिलाना है। प्रस्ताव को बिना मतदान के ही अपना लेना भी महत्त्वपूर्ण गांधी जी को अहिंसक संस्कृति बचपन से ही मिली, | है। ध्यातव्य है कि भारत के तीन ही राष्ट्रीय पर्व हैं। उनके घर जैनसाधुओं का आवागमन प्रायः होता रहता था। | स्वतंत्रतादिवस (१५ अगस्त), गणतंत्रदिवस (२६ जनवरी) जैनधर्मानुयायियों से भी उनका निकट का सम्पर्क था। गांधी | और गांधी जयन्ती (२ अक्टूबर), इसप्रकार अहिंसादिवस जी जब अध्ययनार्थ विदेश जाने लगे और उनकी माता | भारत का राष्ट्रीयपर्व हो गया है। ने उन्हें इस भय से भेजने में आना-काना की, कि विदेश | अहिंसा एक ऐसा भाव/कर्म अस्त्र है, जिसके लिए में जाकर यह मांस-मदिरा भक्षण करेगा, तब जैन मुनि | कोई दिन, घड़ी, घण्टा, मिनट निर्धारित नहीं किया जा बेचरजी स्वामी ने उन्हें मांसादि सेवन न करने की प्रतिज्ञा | सकता। यह तो सदा रहनेवाला भाव है। फिर भी हम दिलाई थी। स्वयं गाधी जी ने अपनी आत्मकथा 'सत्य अहिंसादिवस पर अपने वर्षभर के हिंसक/अहिंसक भावों के प्रयोग' में लिखा है- बेचर जी स्वामी मोढ बनियों में | का लेखा-जोखा कर सकते हैं। अन्य लोगों को अहिंसक से बने हुए एक जैनसाधु थे.... उन्होंने मदद की। वे बोले- बनने की प्रेरणा दे सकते हैं। इस आलोक में आगामी मैं इस लडके से उन तीन चीजों के व्रत लिवाऊँगा। फिर | अहिंसादिवस पर निम्न कार्य किये जा सकते हैं। किये इसे जाने देने में कोई हानि नहीं होगी। उन्होंने प्रतिज्ञा लिवाई | जाने चाहिए। और मैंने मांस, मदिरा तथा स्त्री संग से दूर रहने की प्रतिज्ञा | २ अक्टूबर को 'अहिंसा' विषय पर गोष्ठी आयोजित की। माता जी ने आज्ञा दी। (पृ.३२) करें। ___इसीप्रकार गांधी जी के जीवन में प्रसिद्ध आध्यात्मिक सम्भव हो तो अहिंसा रैली निकालें। जैनसंत श्रीमद् रायचन्द का गहरा प्रभाव था। जब दक्षिण रात्रि में लघुनाटक, कवि सम्मेलन आदि का आयोजन अफ्रीका में गांधी जी को हिन्दुधर्म पर अनेक शंकायें हुई और उनकी आस्था डिगने लगी तब अपनी लगभग ३३ | महिला संगठन 'महिलाएँ घर और भोजनशाला में शंकाएँ गांधी जी ने रायचन्द्र जी को भेजी। रायचन्द्र जी कैसे अहिंसक बनें' विषय पर भाषण प्रतियोगिता ने उनके जो उत्तर दिये उनसे गांधी जी की सत्य और आदि रख सकते हैं। अहिंसा में दृढ़ आस्था हो गई। गांधी जी ने उन्हें अपने अहिंसादिवस के शुभकामना पत्र अपने सम्बन्धियों/ गुरु के रूप में स्मरण किया है और अनेक बार उनके मित्रों/अन्य उपर्युक्त महानुभावों को भेजें।। ज्ञान की प्रंशसा की है। उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा | मोबाइल पर निम्न तरह के एस.एम.एस. भेजें। है- मेरे जीवन पर गहरा प्रभाव डालनेवाले आधुनिक पुरुष | . अहिंसादिवस पर अपने स्वभाव का चिन्तन करें। तीन हैं। रायचन्द्र भाई ने अपने सजीव सम्पर्क से. टॉलस्टाय अहिंसादिवस पर कम से कम एक व्यक्ति को करें। 26 अक्टूबर 2007 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36