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जैन, धनपाल सिंह जैन, सुरेन्द्रपाल जैन, विजय जैन, जवाहर | प्रवचन के पश्चात् विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम सम्पन्न जैन, जीवेन्द्र जैन, राजकुमार जैन, श्री कमल रामपुरिया, | हुए। महावीर प्रसाद सेठी तथा अनेक प्रदेशों से आये गणमान्य
आशीष जैन 'बण्डा ' सागर (म.प्र.) व्यक्तियों ने पूजा-अर्चा में भाग लिया।
श्री प्रवेश जैन का सुयश इस अवसर पर आयोजित धर्मसभा में मुनि श्री
श्रीमती शिमला जैन एवं श्री प्रवीणचन्द्र जैन वरिष्ठ प्रमाण सागर जी ने अपने प्रवचन में कहा कि सम्मेदशिखर | प्रबन्धक. यको बैंक. इतवारी नागपर (महाराष्ट) के सपत्र में जो भी सिद्ध हुए उन्होंने सबकुछ छोड़ा तब सिद्ध हो
श्री प्रवेश जैन ने केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा-मण्डल की पाये। तीर्थङ्कर भी समवशरण को छोड़ देते हैं। अपना |
दसवीं की परीक्षा में 93.6% अङ्क प्राप्तकर प्रशंसनीय अनुभव बताते हुए उन्होंने कहा पहली बार जब मैंने गणधर | सफलता प्राप्त की है। बधाई। इस उपलक्ष्य में जिनभाषित' टोंक पर माथा टेका तो मैं आकुलता में डूब गया मेरा | | को 250 रुपये का दान प्राप्त हुआ। धन्यवाद। कल्याण कब होगा। मुझे बड़ी प्रसन्नता है कि शाश्वत
सम्पादक तीर्थराज सम्मेदशिखर ट्रस्ट ने एक आधुनिक सुविधाओं पं० नाथूलालजी शास्त्री का अवसान से युक्त आवास के निर्माण की योजना बनाई है। ट्रस्ट इस जैनागम की आत्मपहचान पण्डित नाथूलालजी शास्त्री बात का ध्यान रखे कि सुविधा इतनी न हो जाये कि यात्री | जिन्होंने पाप कर्म तजकर पुण्यकर्म को अपनाया, दिगम्बर भगवान् को ही भूल जाये। ध्यान रहे शाश्वत मूल में | जैनसमाज की राष्ट्रीयधरोहर, श्रावकधर्म को सुवासित परिवर्तन नहीं होता, सामयिक मूल में परिवर्तन हो सकता | करनेवाले मूर्धन्य विद्वान् संहितासूरि पण्डित नाथूलालजी है। शाश्वत ट्रस्ट जिन मूलभावनाओं के लिए बना था उसे | शास्त्री का हंस पिंजरा विच्छेद रविवार 9 सितम्बर 2007 न भुलाया जाये। तीर्थक्षेत्र के विकास में जनकल्याण की | को दोपहर 12.15 बजे 97 वर्ष की आयु में मोतीमहल, भावना सर्वोपरि हो। बांध के जल की तरह धन को रोकना | सर हुकमचंद मार्ग, इन्दौर में हो गया। तो ठीक है लेकिन उसकी निकासी भी करते रहना चाहिए
निर्मलकुमार पाटोदी नहीं तो बांध टूट जाएगा। कितनी ही बाधाएँ उपस्थित हों | पं० नाथूलालजी शास्त्री विद्यावर्द्धन पुरस्कारउनसे मुकाबला करते हुए समुचित जनकल्याण कार्य करने
आलेख प्रतियोगिता चाहिए। सम्मेदशिखर को जैनों का बोधगया बनाना चाहिए। दिगम्बरजैन महासमिति मध्यांचल द्वारा विद्यावारिधि, आप इस निर्माण में संतनिवास पर ध्यान दें रहे हैं यह | सिद्धांताचार्य, श्रुतयोगी, संहितासूरि पं० नाथूलालजी शास्त्री बहुत अच्छी बात है मुझे बहुत खुशी है। सभी जैनसंस्थाओं | (1.8.1911-9.9.2007) की पुण्यस्मृति पर विद्यावर्द्धन को इकट्ठा करके युवाशक्ति को जोडकर एक मंच तैयार | पुरस्कार आलेख प्रतियोगिता आयोजित की जावेगी। करें।
यह पुरस्कार उन दो मनीषी चिंतक विद्वानों को प्रदान श्री किशोर जैन | किया जावेगा जिनके प्रचलित सामाजिक/धार्मिकपरम्पराओं
महामंत्री एवं मान्यताओं की आगमसम्मति एवं वैज्ञानिक अवधारणा विदेशों में धर्मप्रभावना
परक शोध-आलेख, निर्णायक मण्डल द्वारा अनुशंषित गतवर्ष की भाँति इस वर्ष भी पर्युषण पर्व में श्रमण | करने के पश्चात् प्रतिवर्ष 9 सितम्बर को प्रदान किये जायेगें। संस्कृति संस्थान, सांगानेर (जयपुर) के शिक्षक पं. राकेश आलेख हेतु विषय की घोषणा 'पुरस्कार समिति' जी जैन कुवैत में धर्मप्रभावना हेतु गये थे।
द्वारा नवम्बर, दिसम्बर 2007 में की जावेगी। विद्वतजन शिव और मानो सानों ने अपनी प्रविष्टियाँ मार्च तक समिति को प्रेषित कर सकेंगे। समन्वितरूप से 18 दिन तक पर्यषण पर्व मनाया। 18 दिनों
प्रतिवर्ष आलेख पर प्रथम पुरस्कार रुपये 5000 व तक अलग-अलग स्थानों पर प्रवचन हुए।
द्वितीय रुपये 3000 तथा अन्य श्रेष्ठ चयनित आलेखों को कार्यक्रमों में सुबह-पूजन तथा महिलाओं की कक्षा,
सांत्वना पुरस्कार प्रदान किये जावेंगे। विस्तृत जानकारी दोपहर में बच्चों की कक्षा (जिसमें 30 बच्चे थे), तथा
विषय की घोषणा के साथ की जावेगी। रात्रि में 10 मिनिट णमोकार मंत्र की जाप तथा 1 घण्टे
माणिकचंद जैन पाटनी प्रधान सम्पादक-परिणय प्रतीक
32 अक्टूबर 2007 जिनभाषित
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