Book Title: Jinabhashita 2007 01
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 19
________________ २. डॉ. हीरालाल जैन भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान, पृष्ठ ११ - १९। डॉ. ज्योतिप्रसाद जैन- जैनिज्म दी ओल्डेस्ट लिविंग रिलीजन, पृष्ठ ४० - ४६, भारतीय इतिहास: एक दृष्टि, पृ. २१ - २९, रिलीजन एण्ड कल्चर आफ दी जैन्स, पृ. १६, ९ - १०, जैनिज्म थ्रू दी एजेज आदि । ३. स्वामी कर्मानन्द - भारत का आदि सम्राट् तथा भरत और भारत, ज्यो. प्र. जैन- भारतीय इतिहास : एकदृष्टि, पृ. २४ । ४. वही, पृ. ३२ । ५. डॉ. हीरालाल जैन, वही, पृ. १९-२० । ६. ज्यो. प्र. जैन- युग-युग में जैन धर्म, तथा भारतीय इतिहास : एकदृष्टि, पृ. ३३, ४२-४५ । ७. वही, पृ. ४५-५० रिवाइवल आफ श्रमणधर्म इन लेटर वेदिक एज (जैन जर्नल. १९७१-७२ ) । ८. वही, भगवान महावीर : हिज टाइम्स, लाइफ एण्ड टीचिंग्स | भारतीय इतिहास, एक दृष्टि, पृ. ५०, ५४ ५९ । ९. वही, पृ. ८८-८९, प्रमुख ऐतिहासिक जैन पुरुष एवं महिलाएँ, पृ. ३४-४४ १०. दी जैना सोर्सेज आफ दी हिस्टरी आफ एन्शेन्ट इण्डिया, पृ. १००-११९ । Jain Education International आचार्य श्री के दर्शन कर अभिभूत हुए योगगुरु बाबा रामदेव "मैं यहाँ प्रवचन करने नहीं, योग सिखाने नहीं, आचार्यश्री के दर्शन करने आया हूँ । भारतीय शास्त्रों में वर्णित, लिखित बातें अकाट्य सत्य हैं। उन शास्त्रों में वर्णित ऋषियों की परम्परा के संवाहक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज इसके प्रमाण हैं । दिगम्बरत्व वैराग्य की पराकाष्ठा है। आधुनिक युग में वीतराग स्वरूप के साथ त्याग, साधना, संयम धारण करनेवाले आचार्य श्री जगतपूज्य हैं। सम्पूर्ण भारतवर्ष में अनेक संत हैं, लेकिन आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज निर्विवाद संत हैं। आचार्यश्री का व्यक्तित्व कृतित्व सहज ही श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है" उक्त उद्गार सुप्रसिद्ध योगगुरु बाबा रामदेव जी महाराज ने दयोदय पशु संवर्धन एवं पर्यावरण केन्द्र तिलवाराघाट जबलपुर (म.प्र.) में विश्ववंदनीय दिगम्बराचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज के दर्शनोपरान्त व्यक्त किये। 'श्री आदिनाथ जिनेन्द्र बिम्ब प्रतिष्ठा महोत्सव मदनगंज किशनगढ़ (राज.) १९७९ ई. स्मारिका' से साभार योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा कि " सभ्यता के विनाश के साधन तो पश्चिमी देशों ने जुटा लिये है, परन्तु विकास के लिये आध्यात्म की आवश्यकता है, संतो की आवश्यकता है। व्यक्ति जन्म से दिगम्बर होता है और मृत्यु के समय दिगम्बर होता है । दिगम्बरत्व प्राकृतिक अवस्था है। इस अवस्था में साधना करना तपस्या की पराकाष्ठा है। जबलपुर सौभाग्य है कि इस युग में ऐसे परम तपस्वी संत का प्रवास यहाँ हो रहा है। आचार्यश्री के द्वारा दीक्षित साधु उच्चशिक्षा प्राप्त हैं और मोक्ष की ओर उन्मुख हैं । इसके पूर्व स्वामी रामदेव जी दयोदय स्थित प्रतिभा स्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ का अवलोकन करने पहुँचे, जहाँ प्रतिभा स्थली की नन्ही छात्राओं ने बाबा रामदेव के सामने योग आसनों का प्रदर्शन किया। इतनी छोटी उम्र में योग की कुशलता देख बाबा प्रफुल्लित हो उठे और तालियाँ बजाकर छात्राओं का उत्साहवर्धन किया। योगगुरु स्वामी रामदेव दयोदय तीर्थ पहुँचकर सीधे आचार्य श्रीविद्यासागर जी महाराज के कक्ष में पहुँचे। आचार्य श्री के चरणों का स्पर्श कर स्वामी रामदेव जी बैठ गये। फिर धर्मगुरु और योगगुरु के बीच चर्चाओं का दौर चला। लगभग एक घंटा बीस मिनिट तक आचार्यश्री ने बाबा रामदेव की धर्म-अध्यात्मविषयक गूढ़ जिज्ञासाओं का समधान किया । For Private & Personal Use Only जयकुमार जैन 'जलज हटा (दमोह) म.प्र. जनवरी 2007 जिनभाषित 17 www.jainelibrary.org

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