Book Title: Jambudweeplaghusangrahani
Author(s): Haribhadrasuri, Nandighoshvijay, Udaysuri
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
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सटीक जं दूई पसग्रहणी
पिट्ठिकरंडमंडियंगा चउत्थ भोई य कप्पतरुपूरियासा सुरगइगामी तगुकसाया ॥२॥" इत्यन्तीपवक्त यता॥
हरिवर्ष क्षेत्र
९०० यो
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जंबूद्धीप-जगती
महाहिमवान् पर्वत
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10.000000१८०० यो.
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हमवत
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लवणोदयौ अन्तर्वीपानांक वास्तविकस्थिति :
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चित्राङ्कः १८ अत्रेदं बोध्यम् -- यत्पूर्वोक्तः पुष्करचरद्वीपमध्यभागपतितो मानुषोत्तराख्यो नगः । तदुत्तरं नदीद्रहाभ्राभगर्जनबादराग्निकायार्ह वासुदेवबलदेवचक्रिसामान्यजनजातिमृत्युचसूर्यन्द्रप्रस्पन्दग्रहण
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