Book Title: Jainvrat Katha Sangrah
Author(s): Deepchand Varni
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

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Page 4
________________ लघुरत्नावलि बृहद्कनकावलिव्रत मेघमालाव्रत अनन्तचतुर्दशीव्रत नवनिधिवत निर्जरापंचमीव्रत कृष्णपंचमीव्रत परमेष्टिगुणवत कालीचतुर्दशी क्षमावणी चमकदशमी ज्ञावदशमीव्रत संकट हरण कर्मचुरव्रत दुःखहरणव्रत शोलकल्याणक लघुमुक्तावल मुरंजमध्यव्रत शीलव्रत कर्मनिर्जराव्रत इधर सीव्रत लघुपंचकल्याणक चन्दनषष्ठी फूलदशमी [ ४ ] बृहमुक्तावलि लघुकनकावलिव्रत सुखकरणव्रत श्रवणद्वादशीव्रत अशोकरोहिणी व्रत कवलचांद्रायण्णव्रत शल्य अष्टमी शिवकुमारखेला मोक्षसभी लघुनावणी अहारदशमीत्रत न्योनदशमी नित्यरस मध्यसिंहनि: क्रीडित जिनपूजापुरन्दर श्रुतिज्ञानतप एकावलि आकाशपंचमीव्रत सर्वार्थसिद्धिव्रत बारहविजीराव्रत मध्यमुक्तावलि बृहदमृदंगमध्यव्रत समवशरणव्रत श्वेतपंचमीव्रत कोकिलापंचमीव्रत निरात्रि लक्षणपंक्ति तीर्थंकर बेला रोटतीजव्रत व्रत तन्दोल दशमीव्रत दण्डदशमी त्रेपनक्रियाव्रत बृहत्सिंहनि:क्रीडित रूद्रबसन्त पंचश्रुतज्ञान लघुमृदंडव्रत अखेदव्रत रूकमणिव्रत एसोनवत मौनव्रत बारईव्रत शीलससमी कोमारसप्तमी बारसुदशमीव्रत इनमेंसे ४० व्रतोंकी कथाएं तो प्रगट की गई हैं और अन्य कथाएं मिलेगी तो वे भी प्रकट करनेका प्रयास किया जायेगा / वीरशासन जयंती पानदशमी भण्डारदशमी Talra

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