Book Title: Jainpad Sagar 01 Author(s): Pannalal Baklival Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha View full book textPage 7
________________ [ २ ] भाग प्रभाती हजुरीपदों का संग्रह छापकर आप लोगोंके सामने उपस्थित किया है । इसके बाद दूसरा भाग सर्वप्रकारके उपदेशों और अध्यात्मोपदेशी पदोंका संग्रह और तीसरा भाग आध्यात्मिक पदों का संग्रह छप रहे हैं शीघ्र ही छक्कर तैयार होनेवर आपके दृष्टिगोचर होंगे। परंतु यह अत्यधिक परिश्रम तब ही सफल समझा जायगा कि जब आप लोग इसको अपनाकर गाय बजाय - कर अपना परम कल्याण ( इन तीनों बडे सग्रहों से अर्थात् नव प्रकारके संग्रहों से ) साधन करेंगे । ! धीरनिर्वाण संवत २४५६ | माघशुक्ला दशमी १ " जैन समाजका हितेषी दाल -- पन्नालाल बाकलीवाल : सुजानगढ निवासी मुद्रक और प्रकाशक - श्रीलाल जैन काव्यतीर्थ जैन सिद्धान्तमकाशक (पवित्र) प्रेस नं० ६ विश्वकोष लेन, बाघबाजार - कलकत्ताPage Navigation
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