Book Title: Jainology Parichaya 01
Author(s): Nalini Joshi
Publisher: Sanmati Tirth Prakashan Pune

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ ४. धर्म (जैनत्व की झाँकी - पाठ ३) १) धर्म का क्या अर्थ है ? (एक-दो वाक्य) २) जैन-धर्म का क्या अर्थ है ? (एक वाक्य) ३) जिन भगवान् कौन है ? (एक वाक्य) ४) जैन-धर्म के चार पर्यायवाची नाम कौनसे हैं ? (एक वाक्य) ५) जैन-धर्म ‘अहिंसा-धर्म' क्यों है ? (एक वाक्य) ६) जैन-धर्म ‘स्याद्वाद-धर्म' क्यों है ? (एक वाक्य) ७) जैन-धर्म ‘आर्हत-धर्म' क्यों है ? (एक वाक्य) ८) जैन-धर्म ‘निर्ग्रन्थ-धर्म' क्यों है ? (एक-दो वाक्य) ९) जैन-धर्म अनादि धर्म क्यों है ? (शिक्षक चार-पाँच वाक्य में उत्तर लिखकर दे ।) १०) सच्चा जैन कौन है ? (तीन-चार छोटे-छोटे वाक्य) ११) जैन-धर्म का पालन कौन कर सकता है ? (तीन-चार वाक्य) १२) जैन-धर्म के तेरह सिद्धान्त इस पाठ के अंत में दिये हैं । शिक्षक वे सिद्धान्त समझाए । उसपर आधारित वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे जायेंगे । इन सिद्धान्तों का स्पष्टीकरण विद्यार्थियों से अपेक्षित नहीं है । पूरे तेरह सिद्धान्त क्रम से याद रखना भी अपेक्षित नहीं है । स्थूलरूप से सिद्धान्त समझाइए । **********

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28