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१५. जैन-संस्कृति में सेवा-भाव (जैनत्व की झाँकी - पाठ ३१)
१) परस्परोपग्रहो जीवानाम्', इस सूत्र का अर्थ एक-दो वाक्यों में लिखिए । (प्रत्येक प्राणी एक दूसरे की सेवा करें, सहायता करें और जैसी भी अपनी योग्यता तथा शक्ति हो, उसी के अनुसार दूसरों के काम आएँ ।)
२) जैन गृहस्थ का प्रात:काल में प्रथम संकल्प कौनसा होना चाहिए ? (दो-तीन वाक्य) ३) जैन-धर्म में माने गये मूल आठ कर्मों के नाम लिखिए । ४) 'मोहनीय' कर्म बडा भयंकर क्यों है ? (एक वाक्य) ५) स्थानांगसूत्र' की आठ महाशिक्षाओं में पाँचवी शिक्षा का अर्थ लिखिए । (एक-दो वाक्य) ६) वैयावृत्य' याने 'सेवा' करने से कौनसा उच्च फल प्राप्त होता है ? (एक वाक्य) ७) जैन इतिहास में सेवा के आदर्श स्वरूप दिये हुए पाँच व्यक्तियों के नाम लिखिए ।