Book Title: Jainagmo Me Parmatmavad
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Atmaram Jain Prakashanalay

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Page 1102
________________ एगवत्तालीसतिम सत (पढमो उद्देसो) १०४१ ७ जं समयं कडजुम्मा तं समयं दावरजुम्मा ? जं समयं दावरजुम्मा तं समयं कडजुम्मा? नो तिण? समढे ।। ८ जं समय कडजुम्मा तं समय कलियोगा?ज समयं कलियोगा तं समयं कडजुम्मा ? नो तिणढे समढे ॥ ६ ते ण भते ! जीवा कहिं उववज्जति ? गोयमा | से जहानामए पवए, पवमाणे, एव जहा उववायसते जाव' नो परप्पयोगेण उववज्जति ॥ १०. ते ण भते ! जीवा किं यजमेणं उववज्जति ? आयअजसेण उववज्जति ? गोयमा । नो प्रायजसेणं उववज्जति, प्रायजसेणं उववज्जति ॥ ११ जइ प्रायजसेणं उववज्जति-किं प्रायजस उवजीवंति ? प्रायजस उव जीवंति ? गोयमा | नो प्रायजस उवजीवति, प्रायजस उवजीवति ।। १२. जइ अायअजस उवजीवति–कि सलेस्सा ? अलेस्सा ? गोयमा | सलेस्सा, नो अलेस्सा ॥ १३ जइ सलेस्सा कि सकिरिया ? अकिरिया ? गोयमा | सकिरिया, नो अकिरिया ॥ १४ जइ सकिरिया तेणेव भवग्गहणेण सिझति जाव सव्वदुक्खाणं अतं करेति ? नो तिणढे समढे॥ १५ रासीजुम्मकडजुम्मसुरकुमारा ण भते । को उववज्जति ? जहेव ने रतिया तहेव निरवसेस । एव जाव' पचिदियतिरिक्खजोणिया, नवर-वणस्सइकाइया जाव असखेज्जा वा अणता वा उववज्जति, सेस एव चेव । मणुस्सा वि एव चेव जाव नो प्रायजसेणं उववज्जति, प्रायजसेण उववज्जति ।।. १६ जइ अायग्रजसेणं उववज्जति–किं प्रायजस उवजीवति ? आयअजसं उव जीवति ? गोयमा । प्रायजस पि उवजीवति, आयअजस पि उवजीवति ॥ १७ जइ आयजस उवजीवति कि सलेस्सा ? अलेस्सा ? , ___ गोयमा । सलेस्सा वि अलेस्सा वि ॥ १८ जइ अलेस्सा कि सकिरिया ? अकिरिया ? गोयमा नो सकिरिया, अकिरिया ॥ १६ जइ अकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अत करेंति ? हता सिझति जाव सव्वदुक्खाण अंत करेंति ।। १. भ० ३११५।

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