Book Title: Jainagmo Me Parmatmavad
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Atmaram Jain Prakashanalay
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कयाइ जाव णिच्चे
२११२५ करयल०
६।१४२,१६०,१८६;११।१४०,१४७ करयल जाव एव
६।१८८,११।१३५,१४४ करयल जाव कट्ठ
७।२०३९।१४०,११६६१,१४३ करयल जाव कूणियस्स
७११७५ करयल जाव जएण
६।१८२ करयल जाव पडिसुणेत्ता
१८५ करयल जाव वद्धावेत्ता
६।२०१ करयलपरिग्गहिय
११।१६८,१५।१७४ करेइ जाव नमसित्ता
२१६८,३।११२,६।१५० करेइ जाव पज्जुवासइ
२।४३ करेत्ता जाव तिविहाए
२।९७;६।१६२ करेत्ता जाव नमसित्ता
२१५२ कलहे जाव मिच्छा०
१२।१०७ कल्लाण जाव दिट्ट
११।१४२ काइयाए जाव पचहिं
११३७१,१६११७ काइयाए जाव पाणाइवाय०
५।१३४ काइयाए जाव पारिया०
११३७१ कालो य भावो य जहा लोयस्स तहा भाणियव्वा, तत्थ
२०४७ काल जाव करेज्जा
२४१४४ कालगएहिं जाव पव्वइहिसि
६१७३ कालत्ते वा जाव लुक्खत्ते
१७.३५ ० कालस्स जाव देवससार जाव विसेसाहिए १११११ कालाओ जाव खिप्पामेव
६।१०२ कालोदायी जाव अप्पवेयण०
७१२२७ किच्चा जाव उववन्ना
१०१५९ किच्चा जाव कहिं
१४।१०३,१०५ कुथुस्स य जाव कज्जइ
७।१६३ कुभकारीए जाव वीइवयामि
१५६७ कूडागारसालदिटुंतो भाणियव्वो
३।२६ केणटेण जाव अपरिग्गहा
५।१८३ केण?ण जाव अभक्खेया
१८२१६ केण?ण जाव इनो
११४६
२।४५ २०६८ २।६८
२०६८ उ०११३६
३१७ ४।१४२
१८२ २०६८ १।१०
११० प्रो० सू० ६६
१०१० ११३८४ ११११३४
११३६५ ३११३४ १।३६५
२१४५ २४।२७ ६१६६
१७.३३ १।१०३,१०८
६१८५ ७।२२७ १०।४८ १४।१०१ ७।१६३
१५८२ राय०सू० १२३
५॥१८२ १८।२१५ ११३४,४८

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