Book Title: Jainagmo Me Parmatmavad
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Atmaram Jain Prakashanalay

View full book text
Previous | Next

Page 1157
________________ शुख पृष्ठ ०भया० 261 340 * 422 rum 8 * 779 * वलय दुवा वलय 821 शुद्धि-पत्र मूलपाठ पंक्ति प्रशुद्ध पंक्ति अशुद्ध शुद्ध 5 दीणस्मरा दीणस्सरा ०भय° अणिठ्ठरसरा अणिट्टस्सरा' परिणामेति परिणामेंति तस्म० भवणाए यह पक्ति मस्साणु मणस्सा 163 मूत्र के अत मे है नेरइड नेरइए (347 - 18 श्रणादियणादीय deg 0 व उत्ताय वउत्ते य माइणे माहणे वट्ठमाण वट्टमाण |503 अज्झस्थिए अज्झथिए पुट्ठ 523 अणुद्धय अणु य° वेदेति वेदेति 528 सया-- रायाउड्डजाणू उड्डजाणू | 576 उज्ज्जति उववज्जति * द्विती 0 द्विति ०गम्ममण(७६० गम्ममाणमाग्गा मरगा दुक्तवा सद्वव सबट्ट ওও 13 सजय सजम तोरेइ तीरेइ 14 महिंदाण -माहिंदाण सेलोसि० 103 11 deg मुट्टि 12 | 620 deg सुद्दिट्ट सेलेसि 103 वासेहि पाठान्तर 14 °वासेहि अशुद्ध 104 विउलस्य 24 विउलस्स शुद्ध परित्यणो० परित्थणे. 117 घण्मत्थि० धम्मत्थि जारिसिया 128 तारिसिया अणु 10 अते अंत 21 ढिच्चा ठिच्चा भोति भोती 23 जदूदीवे जवूदीवे (713) (7 / 13) 147 जाव जाव 4 मणूस्सा मणुस्सा 13 न०४,५,६ न० 5, 6, 7 अहियजिय अहियुजिय 147 जाव 7 103 12 त्रैर्युक्ता तयुक्ता 151 असुरणो अमुररण्णो 112 °द्वयोव यो° द्वयोर्वाचनयो सहत्थ 0 |1126 चउध्वीसाए चउव्वीसाए 18 गतित्तए गमित्तए 1 एत्दवर्णन 'सन्निभि एतवर्णन 174 20 उड्ढावाया उड्ढवाया __.. सन्निभ पलिम पलिमओवमं |160 टितिय तितिय 186 1 ०जोयसणसय- ०जोयणसय व्मायु 184 200 हस्साइ 4501 हरिणेगमेसि णेगमेसि सहस्साइ 200 4 चिनायोः 185 8 -वग्गणायण र्वाचनयो -वग्गणाठाण 0 210 6, 1-6 1-10 161 6, 1-6 6 वि; तया 485 1916 प्रमो० °समुहस्स °समुद्दस्स |516 प्रथमो 11 पडिवुद्ध 206 पडिबुद्धा 22,24,25 न० 6,7,8 न० 7,8,9865 3 षठ 16 WWW MG पंक्ति ~ 6 अण م م 137 144 11 W00 0 0 mmsw س ا . 147 जाव c 157 सहत्ण C 163 0 177 3 .०मायु 3. << a~ तया पष्ठ

Loading...

Page Navigation
1 ... 1155 1156 1157