Book Title: Jainagmo Me Parmatmavad
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Atmaram Jain Prakashanalay
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पोप्प धम्मघोसे नाम अणगारे सेस
त चैव जाव सो वि तहेव कते जाव किमंग जीवा जाव बीया
कडच्छुय जाव भडग
कडे जाव जे
कडे जाव निसि
कडे जाव सव्वेण
कग जाए संतसार
कण्हलेस्सा जाव तेउलेस्सा
कण्हलेस्साणं जाव विसेसाहिया
कण्हसुत्तग जाव सुक्किल ०
कतिवणे जाव कतिफासे
कप्पे जाव उववण्णे
कम्माइ जाव महा० कम्मा जाव कज्जति
● कम्मा जाव पओग०
● कम्मा जाव बंधे कम्मे जाव
कय जाव गहिय०
कय जाव पायच्छित्ते
कय जाव सरीरा "कयबलिकम्मे जाव विभूसिए कवलिकम्मे जाव सरीरे करे जाव विसेसाहिए वा करेहिंतो जाव अप्पावढग जहा तेयगस्स करेहिंतो जाव विसेसाहिया
१५
११।१६४-१६६
२१०, १३।११०
७/६४
११ ६३,७२
१८८०, ८१
१।३७१
१।१२१
१७५, १११५६
१६।१२६,१७१८३
१७१८४
१६/६५
२१२६
६२४३
६।४
७/२२५
८४२३,४२६-४३२
८४२२
७११६०
२०२
११।११६
११।१४०
२०५
१८६
१।११६
८४३७
५।१८१,२०६६।५२,७१३६, ४६, १४५, ८८४,२१२-२१४,३८५, ४०४,४११,४१८ ४४७,६।१०१,१०६, ११३, ११८, ११६; ११ ११३,१२६६,१००,१७,१८,२०५, १३।ε१,१६।१२७,१६१२४,२०१८,१०३, १०४,१०-१११,१३२, २५ ३, ७,३६,१६३, १६४,१६७,२०ε-२११,२३६-२३६,२४६, ३६२,४५१,४८८, ४६६, ५५०
हा१५८
१६६
ठा० १० १५५
१५५६
७। १६०
१।३७१
१।११६
३।३३
१।१०२
१७८३,१११०२
८३६
२।१२५
६।२४३
६४
७।२२४ व
८।४२०
८४२०
७।१६०
२०१
२१६७
२२६७
७।१७६
२६७
१११०८
८४१८
१1१०८

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