Book Title: Jainagmo Me Parmatmavad
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Atmaram Jain Prakashanalay

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Page 1106
________________ १०४५ एगचसालीसतिम सत (५७-११२ उद्देसा) ५८. एव काउलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देसगा ॥ ५६. तेउलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देसगा प्रोहियसरिसा ॥ ६०. पम्हलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देसगा। ६१. सुक्कलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देसगा प्रोहियसरिसा। एव एए वि भवसिद्धिएहि वि अट्ठावीस उद्देसगा भवति । ६२ सेव भते ! सेवं भते ! त्ति ॥ ५७-८४ उद्देसा ६३. अभवसिद्धियरासीजम्मकडजम्मनेरइया ण भते ! को उववज्जति० ? जहा पढमो उद्देसगो, नवर-मणुस्सा नेरइया य सरिसा भाणियव्वा, सेस तहेव ॥ ६४. सेव भते ! सेव भते ! त्ति ।। ६५. एवं चउसु वि जुम्मेसु चत्तारि उद्देसगा ॥ ६६. कण्हलेस्सअभवसिद्धियरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया ण भते ! को उववज्जति० ? एवं चेव चत्तारि उद्देसगा। ६७ एव नीललेस्सयभवसिद्धियरासीजुम्मकडजुम्मनेरइयाण चत्तारि उद्देसगा। ६८. काउलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देसगा ।। ६६ तेउलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देसगा। ७०. पम्हलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देसगा ।। ७१. सुक्कलेस्सयभवसिद्धिएहि वि चत्तारि उद्देसगा। एव एएसु अट्ठावीसाए वि अभवसिद्धियउद्देसएसु मणुस्सा नेरइयगमेण नेयव्वा ॥ ७२. सेव भते ! सेव भंते ! त्ति । ८५-११२ उद्देसा ७३ सम्मदिट्ठीरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया ण भते ! को उववजति ? एव जहा पढमो उद्देसमो। एव चउसु वि जुम्मेसु चत्तारि उद्देसगा भवसिद्धियसरिसा कायव्वा ॥ ७४ सेव भते ! सेव भंते ! त्ति ॥ ७५ कण्हलेस्ससम्मदिट्ठीरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया ण भते । को उववज्जति० ? एए ___ विकण्हलेस्ससरिसा चत्तारि वि उद्देसगा कायव्वा । एव सम्मदिट्ठीसु वि भव सिद्धियसरिसा अट्ठावीस उद्देसगा कायव्वा ।। ७६. सेव भते ! सेव भते ! त्ति जाव विहरइ॥

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