Book Title: Jain Tattva Kalika Vikas Purvarddh
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Page 11
________________ M1 (2) तृतीया कालका विषय पृष्ठसंख्या विषय पृष्ठसंख्या धर्म की व्याख्या 153 ग्रामधर्मादि सात धर्मों की सविग्रामधर्मादि दस धर्मों के नाम तथा | स्तर व्याख्या दस स्थविरों के नाम 154 / / चतुर्थी कलिका. श्रुतधर्म और चारित्र धर्म की व्याख्या पञ्चमी कलिका सम्यक्त्व का वर्णन 186 गृहस्थों के बारह व्रतों का सविस्तर वर्णन षष्ठी कलिका पंचास्तिकाय का सविस्तर वर्णन सप्तमी कलिका लोकालोक का सविस्तर वर्णन अष्टमी कलिका मोक्ष (निर्वाण ) का वर्णन - 228. पिण्डस्थ पदस्थ रूपस्थ और आठ कर्मों की सविस्तर व्याख्या 260 रूपातीत, इन चार प्रकार के कर्म जड़ हैं कैसै फल दे सकते / ध्यानों की पूर्ण व्याख्या और है इसका विस्तार पूर्वक मुक्तात्मा की गति के विषय समाधान 271 ) में खुलासा - नवमी कलिका द्रव्य और पर्याय का वर्णन 285 | अजीव परिणाम के दस भेदों का जीवं परिणाम के दस भेदों का __ सविस्तर वर्णन सविस्तर वर्णन 287 243 303

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