Book Title: Jain Subodh Gutka Author(s): Chauthmal Maharaj Publisher: Jainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam View full book textPage 9
________________ (३) सं०.. पृष्टा . . ३२७ “७१ - २८४ '५१ इन्हें तुम त्यागियोरे :...... '५२ इल्म पढ़ले अय दिला ५३ इस्क उससे लग गया ५४ इस कर्म संग जीव .५५ इस कलि काल के बीच ५६ इस जगत के बीच :५७ इस तरफ तूं कर निगाह." " ·५८ इस दुनियां के पड़दे से . ..:५६ इस पाप कर्म से किस : ' . ६० इस फूट ने बिगाड़ा :: ६१ इस हराम काम बीच ६५ २८९ ३२८ २१६ ६२ उज्वल नीति की रीति ६३ उठा के देखो चशम . . ६४ उठो बादर कस कमर ६५ उठो बादर मिटावो फूट . ७४ ७२ ૭૨ ६६ उत्तम नर तन पाय " ६७ उमर तेरी सगगगग ६८ उलज जाते जा बेढंग स ६६ उलट चलने लगी दुनिया । ७० उसे मानो धारनी नार . ऋ:.. ७१ ऋषभ प्रभु मांगू मोक्ष को १०६ २६६Page Navigation
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