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सं०..
पृष्टा . . ३२७
“७१
- २८४
'५१ इन्हें तुम त्यागियोरे :...... '५२ इल्म पढ़ले अय दिला ५३ इस्क उससे लग गया ५४ इस कर्म संग जीव .५५ इस कलि काल के बीच
५६ इस जगत के बीच :५७ इस तरफ तूं कर निगाह." " ·५८ इस दुनियां के पड़दे से . ..:५६ इस पाप कर्म से किस : ' . ६० इस फूट ने बिगाड़ा :: ६१ इस हराम काम बीच
६५
२८९
३२८
२१६
६२ उज्वल नीति की रीति ६३ उठा के देखो चशम . . ६४ उठो बादर कस कमर ६५ उठो बादर मिटावो फूट .
७४ ७२ ૭૨
६६ उत्तम नर तन पाय " ६७ उमर तेरी सगगगग ६८ उलज जाते जा बेढंग स ६६ उलट चलने लगी दुनिया । ७० उसे मानो धारनी नार .
ऋ:.. ७१ ऋषभ प्रभु मांगू मोक्ष को
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