Book Title: Jain Subodh Gutka Author(s): Chauthmal Maharaj Publisher: Jainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam View full book textPage 8
________________ (28 सं० पृष्टाङ्क २६३ २४६ २० २८० ७६ ३०० २३८ ६५ २८ अर्ज मारी साभलो हों के . २६ अर्ज मारी सांभलो हो के सा ३० अर्ज मारी सुनियो सय. ३१ अवतार लिया जब भारत ३२ अहो अांदसर भाषे ३३ अहो मारी मानो मानो ३४ अहो मुझ धन्धव प्यारा प्रा . ३५ श्राए रूप मुनि का कर के ३६ श्राए वेद गुरुजी लेलो. ३७ प्राकवत के लिये तुझको ३८ आकबत के वास्ते ३६ श्राकवत से डर जरा तूं . ४० आखिर जाता छिटकाई है ४१ आज दिन फलियोरे . . ४२ आठों पहर धंधा में . ४३ आदत तेरी गई विगड़ ४४ आनन्द छायोरे ४५ श्रावरू बढ़ जायगी ४६ श्राया रामचन्द्र महाराज ४७ श्रार्ज की नैया डूब रही . . ४८ श्रावोजी श्रावो चिदानन्द . २८८ ४६ इज्जत तेग बढ़ जायगी ५० इन्ही पापियों ने देश मायाPage Navigation
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