Book Title: Jain Subodh Gutka
Author(s): Chauthmal Maharaj
Publisher: Jainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam

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Page 11
________________ . सं० क ६६ कर धर्म ध्यान ले सीख ६७ करना जो चाहे करले = कर सत्संग ऐ चेतन ६६ करे जो कब्ज इस दिल १०० करो कुछ गौर दिल अन्दर १०१ करो कोशिश ज्ञान पढ़ाने को १०२ करो दिल में जरा विचार १०३ करो ने की बदा जहां में १०४ कर्म गति कहियन जावे १०५ कर्म गति भारीरे १०६ कर्मन की गत ज्ञाता १०७ कलि युग छायोजी '१०८ कसूर मेरा माफ करो १०६ कहती है भूमि भारत ११० कहां लिखा तूं दे बता १११ कहूं पंचम आरे का बयान ११२ कहे तारा अर्ज गुजारी ११३ कहे राम सुन, लक्ष्मण ११४ कहे सीता सुनो रावण ११५ कहे श्रीराम भरत ताई + ( 2 ) . ११६ काया कर जोड़ी कहरे ११७ काया काचीरे २ कर - ११८ काया शारीरे पर पुद्गल ११६ काल पकड़ ले जाता है १२० किल भरोसे रहे दिवाना "१२१. किससे तूं करता है प्यार 4 पृष्टांक २३३ ५६ ७६ २७६ २३० ९६३ १२१ २३१ ४७ २६६ २१० ६४ २७२ १५८ १४६ ३८ ११४ १२४ २०६ २०६ १०८ ३६ ६०

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