Book Title: Jain Shiddhanta Pathmala
Author(s): Saubhagyachandra
Publisher: Ajaramar Jain Vidyashala

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Page 11
________________ महष वंभ पृष्ट पंक्ति अशुद्ध शुद्ध पृष्ट पंक्ति अशुद्ध शुद्ध , २० हम्माणं हम्ममाण २१७ १६ तथा. तथा १७६ २० *जायतेय जायतेयं १२२१ ४ राज्य राज्यंतु " २२ मन्यथ मन्यध्वे २२२ १ एगण एगण १७७ १२ नसरण सरणं २४३ सिचई सिंचई १८३ ३ नह न चको २४५ २६ र्धको , २४ मचु मच्च २४६ ५मुवेइ सुवेह १८४ १४ अपरभवं परंभवं , १९ उत्तमाय उत्तमार्थ १८५ ७ कम्न कन्त २४७ कम कम्म १८७ १० तन्न तत्र " १७ दीर्घा दीर्घ , महर्षे १८८ २३ मिम इमं २५० १७ वर्म १९० १३ रजनी रजनिः२५२ १८७मूर्य १९३ ४ किचि किंचि २५७ १२सन्पुरि १९४ २३ *वद्धा वुद्धा , २४ सम सय १९६ ९ *पूय पूर्व २६२ १३ बुद्ध .. १६ भाम भौम २७२ १९ चेति ति १९८ २ भीमो भीमा २७३ श्यातम गौतम २०० १४ *काक्षा काता २७८ २१ अोधो श्रोधो २०३ १८ पणीय पणीय ८१ १८णुम्गाम गुमामं २०४६ माहरेत् माहारमाहरेत् २८४ ८ स्यन्तं स्यन्त , १३ *भोयण भोयणं , २० नमो बमो २०६ २ ग्रालय श्रालयं ५ ज्यांज्यां नमो होय त्यां २०७ ११ विमृपां विभूषां मो समजबू, २१० १२०अणाउत्त प्रणाउत्ते २८७ १६ धम्ममाण धम्माण २१५ ६ बन्धववो वधवो |, २९श्ययं kedIIth 1-##***##ILE: II यूयं

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